2016 में रिलीज हुई 'डॉक्टर स्ट्रेंज' के सीक्वल 'डॉक्टर स्ट्रेंज इन द मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस' का इंतजार महीनों से हो रहा था।
यह इस अमेरिकन सुपरहीरो की लोकप्रियता का कमाल है कि इस मूवी को विभिन्न फॉर्मेट्स और भाषाओं में डब कर रिलीज किया गया है।
कहानी एक ऐसी लड़की की है जो मल्टीवर्स की यात्रा करने की काबिलियत रखती है। जो खुद अपनी शक्तियों से अंजान है। उसकी शक्ति को हासिल करने के लिए उसके पीछे वांडा मैक्सिमॉफ लगी हुई है।
डॉक्टर स्ट्रेंज और उसके साथी किस तरह से इस युवा लड़की की रक्षा के लिए मल्टीवर्स की यात्रा करते हैं, ये फिल्म का सार है।
फिल्म की कहानी सीधी और सरल है। बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव या घुमाव-फिराव नहीं है, लेकिन यात्रा मजेदार है। इसके पीछे निर्देशक सैम राइमी का अहम योगदान है।
कहानी सिंपल होने के कारण निर्देशक का जोर प्रभाव उत्तपन्न करने पर रहा। उन्होंने एक ऐसी दुनिया पेश की जिसमें कि दर्शक खो जाएं।
फिल्म की शुरुआत एक बेहतरीन दृश्य से होती है, इस छोटे से सीन में पूरी फिल्म की कहानी समाई हुई है।
फिल्म के राइटर्स ने सरप्राइज एलिमेंट के रूप में मल्टीवर्स यूनिवर्स के कॉन्सेप्ट को कहानी में अच्छी तरह से पिरोया है और एक ही इंसान के अलग-अलग यूनिवर्स में हूबहू डुप्लिकेट वाला आइडिया भी जोरदार है।
निर्देशक सैम राइमी ने लेखकों के मल्टीवर्स वाले विचार को सैल्यूलाइड पर एक बेहतरीन सीक्वेंस के साथ पेश किया है जिसमें डॉक्टर स्ट्रेंज और अमेरिका शावेज कई यूनिवर्स में कुछ-कुछ सेकंडों में दाखिल होते हैं।
यहां पर स्पेशल इफेक्ट्स देखने लायक है। यह सीन छोटा है और इसे देखने के बाद लगता है कि काश इस तरह के कुछ और सीन होते, तो मजा दोगुना हो जाता।