कहते हैं कि तस्वीरें सब कुछ बयां कर देती है, जो बात शब्दों में नहीं कहीं जा सकती हैं वह तस्वीरें कह देती है, देश में प्रवासी मजदूरों के पलायन की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वह भी बहुत कुछ बयां कर रही है।
तस्वीरें बता रहीं है कि ये सिर्फ बेबस मजदूरों का पलायन नहीं है बल्कि सिस्टम पर से विश्वास के 'पलायन' की शुरुआत है।
एक साथ अपने घरों की ओर पलायन करते मजदूर सिर्फ एक तस्वीर नहीं बल्कि एक सामूहिक आत्मा है जिसका आज मौजूदा शासन-व्यवस्था पर भरोसा नहीं बचा है। करोड़ों लोगों का पलायन संकट के समय सरकार की नासमझी का भी प्रमाण है।
अचानक हुई तालाबंदी के कारण जो मजदूर अपने घरों में कैद हो गए उनका धैर्य लॉकडाउन के हर चरण के बढ़ने के साथ टूटता गया और वह सरकार के हर भरोसे, आश्वासन और अपील को दरकिनार कर अपने घरों की ओर चल दिए।
केंद्र और राज्य सरकारों के लाख भरोसे के बाद भी मजदूरों का राजमार्गों पर लांग मार्च जारी है। मजदूरों ने सड़कों की लंबाई को अपने पैरों से नाप दिया है।