पनीरसेल्वम : प्रोफाइल

जयललिता के निधन के बाद अब तीसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने ओ. पनीरसेल्वम के सामने सबसे बड़ी चुनौती अन्नाद्रमुक को एकसाथ जोड़कर रखने की है। करिश्माई व्यक्तित्व वाली पार्टी सुप्रीमो जयललिता की गैरमौजूदगी में अन्नाद्रमुक अब अपने आपको नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश कर रही है।
 
चायवाले से नेता बने 65 वर्षीय पनीरसेल्वम अपने साथियों के बीच 'ओपीएस' के नाम से लोकप्रिय हैं और वे दिवंगत जयललिता के वफादार सहयोगी रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामलों में जयललिता को दोषी करार दिए जाने पर वेे मेन फ्राइडे की भूमिका निभाते हुए दो बार राज्य की कमान संभाल चुके हैं।
 
जयललिता के निधन के बाद राजभवन में बेहद दुखी मन से उन्होंने शपथ ली। उन्हें राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने शपथ दिलाई। शोकाकुल माहौल में पनीरसेल्वमने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तब उनकी जेब में जयललिता की तस्वीर रखी थी। जयललिता को देवी के समान मानने वाले पनीरसेल्वम उनके प्रति समर्पण भाव रखते थे, उनकी हर बात मानते थे और उनके लिए रोते थे। उनके आदेशों का पालन पूरी निष्ठा के साथ करने वाले पन्नीरसेल्वम ने नौकरशाहों के साथ समन्वय करते हुए खुद को एक परिपक्व नेता और नेतृत्वकर्ता साबित किया। उनके इन गुणों के चलते ही उन्हें सितंबर 2011 और सितंबर 2014 में कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया था।
 
पनीरसेल्वम प्रभावशाली मुदुकुलाथोर समुदाय से हैं और बेहद मामूली पृष्ठभूमि से आते हैं। वह अपने गृहनगर पेरियाकुलम में चाय की दुकान चलाते थे। इस दुकान को आज उनका परिवार चलाता है। विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वर्ष 2001 में पहली बार मंत्री बनने वाले पन्नीरसेल्वम को जयललिता ने अहम राजस्व विभाग सौंपकर उनमें अपने विश्वास का संकेत दे दिया था। पनीरसेल्वम में अपने विश्वास को बढ़ाते हुए जयललिता ने वर्ष 2011 में उन्हें वित्त विभाग और लोकनिर्माण विभाग जैसे बड़े विभाग भी सौंप दिए थे।
 
विपक्ष में रहने के दौरान भी पनीरसेल्वम वर्ष 2001-2006 तक दूसरे नंबर (अन्नाद्रमुक विधायी दल के उपनेता) के नेता रहे। पार्टी के नेताओं में उन्हें जयललिता का विश्वसनीय व्यक्ति माना जाता था। हमेशा से मृदुभाषी रहे पन्नीरसेल्वम को दलगत रेखाओं से परे सभी से सम्मान मिला है। वर्ष 2011 से सदन के नेता के रूप में, उन्होंने सदन की कार्यवाही को सुगमता से संचालित किया है। जयललिता को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिए जाने पर कुछ समय के लिए पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री पद संभालना पड़ा था। वित्तीय मामलों में राज्य की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए वित्त मंत्री के रूप में उनके द्वारा किया गया संचालन खासतौर पर अहम रहा है।
 
वर्ष 2011 और 2014 में जब जयललिता को भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी करार दिया गया तो उन्होंने अपनी कुर्सी के लिए पनीरसेल्वम को चुना। अदालतों द्वारा जयललिता को दोनों मामलों में बरी किए जाने के बाद पनीरसेल्वम ने भी एक वफादार सिपाही की तरह उन्हें सत्ता की कमान वापस सौंप दी। इस साल जब अन्नाद्रमुक प्रमुख को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया तो 12 अक्टूबर को एक बार फिर ओपीएस को जयललिता के विभाग, गृह विभाग और पुलिस की जिम्मेदारी सौंप दी गई। उन्हें मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। 

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