Rahul Gandhi from Raebareli : रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की उम्मीदवारी के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार ने पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने यहां से दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है। 2019 में इस सीट पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप को 1 लाख 67 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया था। इस सीट पर सर्वाधिक गांधी और नेहरू परिवार से जुड़ा व्यक्ति ही चुनाव जीता है। हालांकि 1977 में इंदिरा गांधी जैसी लोह महिला को भी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
भाजपा को महंगी पड़ेगी अदिति की नाराजगी : राहुल गांधी की राह इसलिए भी आसान दिख रही है क्योंकि इस बार समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन होने के कारण उन्हें अखिलेश यादव का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। दूसरी ओर, दिनेश प्रताप सिंह को लेकर भाजपा में ही असंतोष है। आम कार्यकर्ताओं के साथ रायबरेली से विधायक अदिति सिंह भी उनसे नाराज बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि दिनेश प्रताप की उम्मीदवारी के बाद ही अदिति ने रायबरेली छोड़ दिया था। वे अंबेडकर नगर लोकसभा सीट पर रितेश पांडे के लिए काम कर रही हैं।
विधायक पांडे भी नाराज : सपा से भाजपा में आए ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडे भी दिनेश प्रताप की उम्मीदवारी से खुश नहीं हैं। वे भी चुनाव से दूरी बनाए हुए थे, लेकिन अमित शाह के दखल के बाद वे शाह के कार्यक्रम में मंच पर दिखाई दिए थे। अदिति सिंह की रायबरेली से दूरी बनाने की सबसे बड़ी वजह दिनेश प्रताप के साथ उनकी पुरानी दुश्मनी है। अदिति पर 2019 में हमला हुआ था। उस समय उन्होंने आरोप लगाया था कि यह हमला दिनेश के भाई अवधेश सिंह ने कराया है। तब से ही इन दोनों के बीच तनातनी है। अमित शाह के कहने पर मनोज पांडे तो मान गए थे, लेकिन अदिति सिंह झुकने को तैयार नहीं हुईं।
रायबरेली का जातीय गणित : चूंकि यह गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है, इसलिए यहां जातिगत समीकरण मायने नहीं रखते। रायबरेली सीट पर 11 फीसदी ब्राह्मण हैं, जबकि 9 फीसदी के लगभग यहां पर राजपूत मतदाता हैं। सर्वाधिक 34 फीसदी यहां दलित मतदाता हैं। मुस्लिमों की संख्या यहां 6 फीसदी है। यादव, कुर्मी, लोध मतदाताओं की संख्या यहां करीब 17 फीसदी है, जबकि 23 फीसदी के लगभग यहां अन्य जातियां हैं।
राहुल को नहीं होगी दिक्कत : रायबरेली सीट के अंतर्गत आने वाले रतापुर के निवासी रामप्रसाद कहते हैं कि यह सीट वैसे ही कांग्रेस के पास है। राहुल गांधी को भी इस बार कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा का अंदरूनी असंतोष ही उसे ले डूबेगा। कोई आश्चर्य नहीं लीड पिछली बार से भी ज्यादा हो जाए।
विधानसभा सीटों पर भी विपक्ष भारी : विधानसभा सीटों की भी बात करें तो यहां राहुल गांधी का दबदबा दिखाई दे रहा है। इस संसदीय क्षेत्र की एकमात्र रायबरेली सीट पर ही भाजपा की अदिति सिंह विजयी हुई थीं। अदिति पहले कांग्रेस के टिकट पर भी विधायक रह चुकी हैं। बाकी 4 सीटों- बछरावां, हरचंदपुर, सरेनी और ऊंचाहार सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। सपा इस बार कांग्रेस को पूरी तरह समर्थन दे रही है। हालांकि ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडे भाजपा में शामिल हो चुके हैं। पांडे भी दिनेश प्रताप की उम्मीदवारी से नाखुश हैं।
राहुल के दादा जीते थे पहला चुनाव : इस लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो 1952 में पहला चुनाव राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी ने जीता था। 1957 में फिर फिरोज गांधी ने जीत हासिल की। इस सीट पर करीब 17 बार कांग्रेस चुनाव जीत चुकी है। इंदिरा गांधी 1977 में इस सीट पर चुनाव हारीं, जबकि 1980 में जीत हासिल की। 1967 और 71 में भी इंदिरा गांधी यहां से सांसद रहीं। सोनिया गांधी सर्वाधिक 5 बार यहां से सांसद रहीं।