Pranayama yoa: यदि आप कहीं ऐसी जगह पर हैं जहां ठंड बहुत लग रही है और आपके पास ठंड से बचने के ज्यादा साधन भी नहीं है तब आप इन 2 प्राणायाम को आजमा सकते हैं। दूसरा यह कि यदि आप वृद्ध हैं तो आपको भी सर्दी से बचने के लिए ये प्राणायाम करना चाहिए क्योंकि इससे खून का संचालन अच्छे से होता है और शरीर में गर्मी आ जाती है।
अग्निसार प्राणायाम | Agnisar Pranayama : अग्निसार प्राणायाम को क्रिया योग के अंतर्गत माना जाता है। इस प्राणायाम से शरीर के अंदर अग्नि उत्पन होती है जिसके चलते शरीर के भीतर के कई तरह के रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। इसे प्लाविनी क्रिया भी कहते हैं। इसे अच्छे से किसी से सीखकर ही करना चाहिए। वह भी शुद्ध वातावरण में ही इसका प्रयोग करें।
अग्निसार प्राणायाम विधि | Agnisar Pranayama Vidhi : इस प्राणायाम का अभ्यास खड़े होकर, बैठकर या लेटकर तीनों तरह से किया जा सकता है। आप चाहे तो सिद्धासन में बैठकर दोनों हाथ को दोनों घुटनों पर रखें और शरीर को स्थिर करें। अब पेट और फेंफड़े की वायु को बाहर छोह़ते हुए उड्डीयान बंध लगाएं अर्थात पेट को अंदर की ओर खींचे।
कपाल भाती प्राणायाम की सरल विधि- kapalbhati pranayam ki vidhi: रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं। दोनों हथेलियों को घुटनों पर रखों जो आकाश की ओर खुली रहेगी। अब गहरी सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना है। यानी नाभि को रीढ़ी की हड्डी की ओर खिंचना है। उतना ही बल लगाएं, जितना सहजता से लग जाए। ध्यान रखें कि श्वास लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में श्वास स्वत: ही अंदर चली जाती है। इस प्रक्रिया को 20 बार दोहराने पर एक राउंड पूरा हो जाएगा। अंत में सहज होते हुए नाभि और पेट को ढीला छोड़ दें। इस प्रक्रिया को 3 राउंड या 80 सांसों तक दोहराया जा सकता है। पेट, छाती या गले में किसी भी प्रकार की समस्या हो तो यह प्राणायाम नहीं करें।