राजनीतिक जीवन : देश के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवार से आने वाले राजीव गांधी की राजनीति में कोई विशेष रुचि नहीं थी और वे एक एयरलाइंस में पायलट की नौकरी करते थे। आपातकाल के उपरांत जब इंदिरा गांधी को सत्ता छोड़नी पड़ी थी, तब कुछ समय के लिए वे परिवार के साथ विदेश में रहने चले गए थे। 1980 में छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद राजीव ने राजनीति में प्रवेश किया। 1981 में उत्तरप्रदेश की अमेठी सीठ से सांसद बने। 1985 से 1991 तक वे कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।
1984 में प्रधानमंत्री बने : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को हत्या के बाद राजीव गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। जब इंदिराजी की हत्या हुई, तो राजीव को उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। कुछ दिन बाद उन्हें कांग्रेस (इं) पार्टी का नेता भी चुन लिया गया। वे 31 अक्टूबर 1984 से 1 दिसंबर 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया गया।
विशेष : राजीव गांधी का कार्यकाल कुल मिलाकर मिला-जुला रहा था। उन्हें कई नई पहलों और शुरुआत का जनक माना जाता है जिसके अंतर्गत संचार क्रांति, कम्प्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि शामिल हैं। उन्होंने कई साहसिक कदम भी उठाए थे जिनमें असम समझौता, पंजाब समझौता, मिजोरम समझौता, श्रीलंका में शांति सेना का भेजा जाना आदि शामिल हैं।