राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार अनूठे घोषणा-पत्र को लेकर काफी चर्चा है। यह घोषणा-पत्र किसी राजनीतिक दल ने नहीं, बल्कि देहात से आए लोगों ने जारी किया है।
इसे 'जनता का घोषणा-पत्र' नाम दिया गया है। हैरत की बात यह है कि इस घोषणा-पत्र को मानने के लिए कांग्रेस, भाजपा, बसपा व भाकपा जैसी सभी राजनीतिक पार्टियों को आगे आना पड़ रहा है। राजस्थान इलेक्शन वॉच और रोजगार व सूचना का अधिकार अभियान के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को जयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय जनमंच में यह घोषणा-पत्र जारी किया गया।
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय और प्रसिद्ध चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव जैसी शख्सियतों की उपस्थिति में ग्रामीण लोगों ने जनता के घोषणा-पत्र में शामिल की गई एक-एक घोषणा को हजारों लोगों के सामने रखा।
अजमेर जिले के एक छोटे से गाँव से आई न्यौरती बाई ने महँगाई के साथ मजदूरी की दर बढ़ाने की बात रखी तो मजदूर किसान शक्ति संगठन के शंकरसिंह ने सरकारी कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने की वकालत की।
शंकरसिंह ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि भीड़ में से एक साथ आवाज आई 'सरकार हमारे आप की, नहीं किसी के बाप की।' राजसमंद से आए चुन्नीसिंह ने जनता के प्रतिनिधियों को वापस बुलाए जाने का कानून बनाए जाने की माँग की तो इलेक्शन वाच के प्रतिनिधि कमलसिंह ने सूचना आयुक्त की नियुक्ति से पहले जनता की राय जानने की बात कही।
जनता के इस घोषणा-पत्र में सेज के नाम पर किसानों के साथ की जा रही धोखाधड़ी बंद करने और रतनजोत उगाने के नाम पर उद्योगपतियों को सौंपी जा रही जमीनों की जागीरें वापस छिनने, सबके लिए समान शिक्षा व शिक्षा का निजीकरण रोकने और दलितों की जमीनें गैरदलित लोगों के नाम किए जाने पर रोक लगाने संबंधी कई बातें शामिल की गई हैं।
राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा का कोई भी प्रतिनिधि जनमंच में भाग लेने नहीं पहुँचा। जनमंच के संयोजक निखिल डे और सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने कहा कि सैकड़ों मर्तबा आग्रह करने के बावजूद सत्तारूढ़ दल के किसी भी प्रतिनिधि का जनमंच में शामिल नहीं होना यह दर्शाता है कि भाजपा को जनता और उसके मुद्दों से कोई सरोकार नहीं है।
अरुणा राय ने कहा कि लोकमत यात्रा का अभियान अगले पाँच साल तक जारी रखा जाएगा, अब हम एक दो मुद्दों तक सीमित रहने के बजाए पूरी व्यवस्था में दखल देंगे।
केंद्र की तरह राजस्थान में भी न्यूनतम साझा कार्यक्रम घोषित करवाने के लिए हम जीतकर आने वाली पार्टी से माँग करेंगे, जिसमें सरकार की ओर से पाँच साल में किए जाने वाले कार्यों का लेखा-जोखा होगा।
सूचना के अधिकार को जनता का सबसे बड़ा हथियार बताते हुए अरुणा राय ने कहा अब किसी भी सरकार में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह सूचना के अधिकार और रोजगार गारंटी कानून को वापस ले सके। अरुणा राय ने रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत राज्य मद से 50 दिन अतिरिक्त रोजगार दिए जाने की माँग की है।