नीमकाथाना सीट पर कांटे का मुकाबला

सोमवार, 18 नवंबर 2013 (19:28 IST)
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नीमकाथाना विधानसभा सीट पर कांग्रेस से मौजूदा विधायक रमेशचन्द खंडेलवाल व भाजपा से पूर्व विधायक प्रेमसिंह बाजौर के बीच कांटे की टक्कर है। पुराने प्रतिद्वंद्वियों की इस जंग पर सबकी नजर टिकी हुई है।

खंडेलवाल नीमकाथाना विधानसभा क्षेत्र से दो बार कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ चुके हैं। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व विधायक मोहनलाल मोदी से टिकट छीनकर खंडेलवाल को दी थी, जिसमें उन्होंने ने अप्रत्याशित जीत दर्ज कर भाजपा सहित अपने कई विरोधियों के हौसले पस्त कर दिए थे और कांग्रेस ने भाजपा से यह सीट अपने कब्जे में कर ली।

इस बार भी चुनाव में जिताऊ उम्मीदवार मानकर कांगेस ने खंडेलवाल को और भाजपा ने बाजौर को ही अपना उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लडऩे का निर्णय लिया है। चुनाव में खंडेलवाल द्वारा अपने 5 वर्षों के कार्यकाल में करवाए गए विकास कार्य नीमकाथाना को दी उपलब्धियों के साथ अपनी व्यक्तिगत छवि को आगे रखकर क्षेत्र के कस्बा, गांव-गांव, ढाणी-ढाणी सतत जनसंपर्क कर समर्थन मांग रहे हैं।

दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी बाजौर भी अपने पूर्व कार्यकाल में करवाए गए विकास कार्यों व उपलब्धियों के साथ ही समय-समय पर जरूरतमंद परिवारों के बगैर भेदभाव के की गई आर्थिक व सामाजिक सेवाओं का प्रतिफल मांग रहे हैं। बाजौर कमरतोड़ महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के साथ ही स्थानीय मुद्दे भी आगे रखकर प्रतिद्वंद्वी खंडेलवाल को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।

कहा जा रहा है कि बाजौर को जातिगत रूप से भी अपूर्व सहयोग भी मिलता दिखाई पड़ रहा है और उन्होंने पिछले 5 वर्षों में वे क्षेत्र की जनता से किसी-न-किसी बहाने यहां होने वाले आयोजनों में पहुंच अपनी व्यक्तिगत व राजनीतिक पकड़ को भी मजबूत किया है।

इस चुनाव में बाजौर व खंडेलवाल की व्यक्तिगत व राजनीतिक प्रतिष्ठाएं दांव पर लगी हुई हैं, जिसको लेकर क्षेत्र में जनसम्पर्क के साथ सामाजिक गठबंधन पर भी जोड़तोड़ बैठाने में दोनों ही प्रत्याशी कोई कसर नही छोड़ रहे हैं। इन दोनों के अलावा भी दो और प्रत्याशी हैं जो इन दोनों के हार-जीत के समीकरणों को बिगाड़ रहे हैं।

भाजपा से बागी निर्दलीय करणसिंह बोपिया तथा कांग्रेस से बागी निर्दलीय सुरेश मोदी भी जोड़तोड़ बैठाने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं। निर्दलीय मोदी पूर्व विधायक मोहनलाल मोदी के पुत्र हैं। मोदी के पिता एक बार निर्दलीय और तीन बार कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत चुके हैं। क्षेत्र में मोदी को भी मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है।

निर्दलीय बोपिया को 2003 के चुनावों में निर्दलीय खड़े हुए धर्मपाल गुर्जर का प्रतिबिम्ब कहा जा रहा है अगर गुर्जर मतदाताओं का भरपूर सहयोग बोपिया को मिलता है तो ये भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं, जबकि भाजपा समर्थित लोगों का कहना है कि बाजौर को कोई नुकसान नहीं होगा।

कहा जा रहा है कि वर्तमान परिस्थितियों में सभी बागियों व व अन्य राजनीतिक पर्टियों से खड़े उम्मीदवारों की चुनौती का सामना अकेले खंडेलवाल को करना पड़ सकता है। नीमकाथाना विधानसभा सीट पर इनके अलावा बसपा से सांवलराम यादव सहित कई अन्य उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में डटे हुए हैं, जिससे क्षेत्र के इस चुनाव में विभिन्न जाति, वर्ग, समुदाय के वोटरों में भारी सैंधमारी होने की संभावना को झुठलाया नहीं जा सकता है। हालांकि मतदान एक दिसंबर को होना है, इसलिए अभी परिस्थितियों में काफी उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।

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