तब लक्ष्मीजी ने अपना परिचय उन्हें दिया और बताया कि मैं आपके उसी प्रहरी की पत्नी हूं जिन्हें उन्होंने बहन माना था। उसके सुख-सौभाग्य और गृहस्थी की रक्षा करना भी उन्हीं का दायित्व था और यदि बहन की ओर देखते तो उन्हें अपने प्राणों से भी प्रिय अपने इष्ट का साथ छोडऩा पड़ता, पर राजन भक्त, संत और दानवीर यूं ही तो न थे।