2024 Raksha bandhan : श्रावण मास के आते ही एक ओर जहां ग्रीष्म ऋतु से उत्तप्त धरा बारिश की बूंदों से भीगकर सौंधी सुगंध बिखेरने लगती है वहीं दूसरी ओर इस पवित्र-पावन माह में अनेक व्रत-त्योहारों का आगमन मन को प्रफ़ुल्लित व प्रमुदित कर देता है। ऐसा ही प्रेमपगा त्योहार है रक्षाबंधन, जब बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध कर उसकी सुख-समृद्धि की कामना करते हुए अपनी रक्षा का वचन लेती हैं।
रक्षाबंधन का पर्व प्रतिवर्ष श्रावण की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व दिनांक 19 अगस्त 2024 दिन सोमवार पूर्णिमा को मनाया जाएगा। इस दिन भद्रा का वास 'पाताललोक' में रहेगा। शास्त्रानुसार रक्षाबंधन सदैव भद्रा उपरांत किया जाना चाहिए। भद्रा में रक्षाबंधन करना वर्जित है।
क्या इस वर्ष भद्रा के 'पाताललोक' में निवासरत होने के कारण रक्षाबंधन पर्व में व्यवधान होगा! आइए जानते हैं-
हमारे हिन्दू शास्त्रानुसार पंचांग के पांच अंग होते हैं, ये पांच अंग हैं- 1. तिथि 2. वार 3. नक्षत्र 4. योग 5. करण। इन्हीं पांच अंगों की समेकित गणना को पंचांग गणना कहा जाता है। इसमें विष्टि नामक करण को ही 'भद्रा' कहा जाता है। समस्त करणों में भद्रा का विशेष महत्व होता है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी व पूर्णिमा तिथि को पूर्वार्द्ध एवं चतुर्थी व एकादशी तिथि को उत्तरार्द्ध की भद्रा होती है। वहीं कृष्ण पक्ष की तृतीया व दशमी तिथि को उत्तरार्द्ध एवं सप्तमी व चतुर्दशी तिथि को पूर्वार्द्ध की भद्रा (विष्टि करण) होती है।
शास्त्रानुसार भद्रा में रक्षाबंधन का निषेध बताया गया है। कुछ विद्वान मानते हैं कि केवल मृत्युलोक की भद्रा ही त्याज्य होती है, इसके विपरीत यदि भद्रा का वास पाताललोक में हो तो वह त्याज्य नहीं होती किंतु मतांतर से कुछ विद्वान ऐसा नहीं मानते।
कुछ शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि भद्रा का वास कहीं भी हो वह सर्वर्था त्याज्य है। शास्त्रानुसार पूर्वार्द्ध की भद्रा दिन में और उत्तरार्द्ध की भद्रा रात्रि में त्याज्य होती है, वहीं शास्त्रानुसार भद्रा का मुख भाग ही त्याज्य है जबकि पुच्छ भाग सभी कार्यों में ग्राह्य होता है। भद्रा के मुख की पांच घटी अर्थात् 2 घंटे ही सर्वथा त्याज्य होती हैं। शनिवार की भद्रा भी विशेष अशुभ मानी जाती है।
दिनांक 19 अगस्त 2024, दिन सोमवार को भद्रा का अस्त मध्याह्न 1.33 मिनट पर होगा इस समय चंद्रमा मकर राशि में स्थित रहेंगे। भद्रा के उदयकाल समय में चंद्रमा के मकर राशि में स्थित होने से भद्रा का वास 'पाताललोक' रहेगा। पाताललोक की भद्रा रहेगी, जो विशेष अशुभ नहीं मानी जाती। शास्त्रानुसार भद्रा के मुख भाग की पांच घटी (2 घंटे) विशेष रूप से अशुभ एवं त्याज्य मानी जाती हैं। दिनांक 19 अगस्त 2024 को चंद्रमा रात्रि 7:00 बजे कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे, इसी समय से पंचक भी प्रारंभ हो जाएंगे।
कब है राहुकाल एवं पंचक उदय :
19 अगस्त 2024 को प्रात: 7:33 से 9:10 मिनट तक राहुकाल रहेगा एवं रात्रि 7:00 बजे से पंचक प्रारंभ होंगे।
रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त-
* शुभ मुहूर्त : मध्याह्न 2:00 बजे से 6:55 मिनट तक।
* सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त : मध्याह्न 3:30 से 6:45 मिनट तक।