इस आयत में दुनियावी जिंदगी यानी नफ्सी ख्वाहिशात (क्रोध, माया, मान, लोभ जिन्हें जैन धर्म में कषाय कहा जाता है और ईसाई धर्म में मटेरियलिस्टिक डिजायर्स) को छोड़ने और आखिरत से रिश्ता जोड़ने की बात कही गई है। आखिरत से मुराद (आशय) दरअसल पारलौकिक यानी भविष्य की स्थिति से है। मतलब यह हुआ कि दुनियावी जिंदगी के बाद यानी मरणोपरांत की स्थिति ही आखिरत है।