21st Roza : नर्क से मुक्ति दिलाता है 21वां रोजा, रमजान का आख़िरी अशरा शुरू

प्रस्तुति : अजहर हाशमी
 
इक्कीसवें रोजे से तीसवें रोजे तक के दस दिन/दस रातें रमजान माह का आख़िरी अशरा (अंतिम कालखंड) कहलाती है। चूंकि आख़िरी अशरे में ही लैलतुल क़द्र/शबे-क़द्र (वह सम्माननीय रात की विशिष्ट रात्रि जिसमें अल्लाह यानी ईश्वर का स्मरण तमाम रात जागकर किया जाता है तथा जिस रात की बहुत अज्र यानी पुण्य की रात माना जाता है।
 
क्योंकि शबे-कद्र से ही ईश्वरीय ग्रंथ और ईश्वरीय वाणी यानी पवित्र कुरआन का नुजूल या अवतरण शुरू हुआ था) आती है, इसलिए इसे दोजख से निजात का अशरा (नर्क से मुक्ति का कालखंड) भी कहा जाता है। शरई तरीके (धार्मिक आचार संहिता के अनुरूप) से रखा गया 'रोजा' दोजख (नर्क) से निजात (मुक्ति) दिलाता है।
 
कुरआने-पाक के सातवें पारे (अध्याय-7) की सूरह उनाम की चौंसठवीं आयत में पैग़म्बरे-इस्लाम हजरत मोहम्मद को इरशाद (आदेश) फरमाया- 'आप कह दीजिए कि अल्लाह ही तुमको उनसे निजात देता है।' यहां यह जानना जरूरी होगा कि 'आप' से मुराद हजरत मोहम्मद से है और 'तुमको' से यानी दीगर लोगों से है।
 
मतलब यह हुआ कि लोगों को अल्लाह ही हर रंजो-गम और दोजख़ (नर्क) से निजात (मुक्ति) देता है। 
 
सवाल यह उठता है कि अल्लाह (ईश्वर) तक पहुंचने और निजात (मुक्ति) को पाने का रास्ता और तरीका क्या है? इसका जवाब है कि सब्र (संयम) और सदाकत (सच्चाई) के साथ रखा गया रोजा ही अल्लाह तक पहुंचने और दोजख से निजात पाने का रास्ता और तरीका है।

ALSO READ: 20th Day Roza: मगफिरत की रोशनी का अधिकारी बनाता है 20वां रोजा

ALSO READ: Ramadan 2021 : रहमत और बरकत वाला पवित्र माह रमजान जारी, होगी अल्लाह की इबादत

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी