रमजान का महत्व : रमजान माह का इस्लामी धर्म में बहुत महत्व है। इस महीने में कुरान शरीफ नाजिल हुआ था, जो मुसलमानों की पवित्र पुस्तक है। रमजान माह में रोजे रखना इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। रोजे रखने का उद्देश्य अल्लाह के प्रति अपनी भक्ति और आज्ञाकारिता प्रकट करना है। रोजे रखने से व्यक्ति में आत्म-अनुशासन, धैर्य और त्याग की भावना पैदा होती है।
क्यों कहा जाता हैं आसमानी किताबों का नुजूल : इस्लाम में माहे रमजान की बहुत अहमियत है, क्योंकि अल्लाह तआला ने इसी मुबारक महीने में अपने नबियों पर सहीफे और आसमानी किताबें नाजिल की थीं। माहे रमज़ान में अल्लाह तआला ने अपने आखिरी नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर क़ुरआन करीम नाजिल किया। इससे पहले अल्लाह तआला ने हजरत ईसा अलैहिस्सलाम पर इंजील नाजिल की थी। इंजील से पहले हजरत मूसा अलैहिस्सलाम पर तौरेत नाजिल की गई। तौरेत से पहले हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम पर जबूर नाजिल की गई और बाकी नबियों पर सहीफे नाजिल किए गए।
• रोजे के दौरान नमाज पढ़ना और कुरान शरीफ की तिलावत करना चाहिए।
• जरूरतमंदों की मदद करना और दान देना चाहिए।
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