अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित हनुमानगढ़ी सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यहां पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा केवल छः (6) इंच लंबी है, जो हमेशा फूलमालाओं से सुशोभित रहती है। हनुमान गढ़ी, वास्तव में एक गुफा मंदिर है।
इस मंदिर के जीर्णोद्धार के पीछे एक कहानी है। कहते हैं कि सुल्तान मंसूर अली लखनऊ और फैजाबाद का प्रशासक था। इस दौर में एक बार सुल्तान का एकमात्र पुत्र बहुत बीमार पड़ा। चिकित्सा सुविधाएं उस दौरा में इतनी ज्यादा नहीं हुआ करती थी। वैद्य और डॉक्टरों ने जब हाथ टेक दिए, तब अंतिम विकल्प के रूप में सुल्तान ने थक-हारकर आंजनेय के चरणों में अपना माथा रख दिया। उसने हनुमान से विनती की की किसी पर तरह मेरे पुत्र को बच लें। तभी न जाने कैसे चमत्कार हुआ कि उसका पुत्र पूर्ण स्वस्थ हो गया। उसकी धड़कनें फिर से सामान्य हो गईं।