रतनजोत से जली ज्योत

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2008 (14:31 IST)
एक बल्ब जलाने की लागत यदि 25 रुपए महीना आती है तो यह महँगा नहीं है। यह सब संभव हुआ है रतनजोत के तेल से। देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब रतनजोत के तेल से बिजली बनाई जा रही हो। छत्तीसगढ़ में यह काम कर दिखाया है एक गैर-सरकारी संगठन ने।

यह संयंत्र यहाँ के कबीरधाम जिले के रानीधेरा गाँव में लगाया गया है। संयंत्र लगाने वाला गैर-सरकारी संगठन विनरॉक इंटरनेशनल इंडिया इसके जरिए 24 घंटे विद्युत प्रदाय कर रहा है। यह गरीब गाँव वालों को प्रति बल्ब 25 रु. के हिसाब से दी जा रही है। 17.5 किलोवॉट का यह बिजली संयंत्र रतनजोत के बीजों से निकलने वाले तेल से चलाया जाता है।

पिछले साल अप्रैल में यह शुरू किया गया था और तभी से निर्बाध बिजली प्रदाय हो रही है। इस संयंत्र से रानीधेरा की बिजली की जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा रहा है। यहाँ पर करीब 106 परिवार है। इनमें से अधिकांश आदिवासी हैं।

संगठन के वाइस प्रेसीडेंट सोमनाथ भट्टाचार्य का कहना है कि संयंत्र में कभी किसी तरह की कोई खराबी नहीं आई है। ग्रामीणों को यह काफी भी है। जापान की अदालत में भारतीय गणित की पाठ्यपुस्तकों के कॉपीराइट संबंधी दो मामले चल रहे हैं।

भारत में फिलहाल सबसे अच्छे आईटी कर्मचारी हैं। सारी दुनिया में अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों में भारतीय अच्छे पदों पर मिलेंगे। भारत की प्राथमिक शिक्षा में गहरी रुचि के साथ-साथ आर्थिक संबंधों की भी समीक्षा प्रतिनिधिमंडल करेगा।
नईदुनिया

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