तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार को चीन पर आरोप लगाया कि वह तिब्बत के मठों में देशभक्ति की फिर से शिक्षा का अभियान चलाकर जान-बूझकर तिब्बत में ‘बौद्ध धर्म का अस्तित्व मिटाने’ का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आज चीनी अधिकारी विभिन्न राजनीतिक अभियान चला रहे हैं, जिसमें तिब्बत के अनेक बौद्ध मठों में देशभक्ति की फिर से शिक्षा का अभियान भी शामिल है। वे बौद्ध भिक्षुओं और ननों को कारागार जैसी स्थिति में रख रहे हैं और वे उन्हें अध्ययन और शांति में अभ्यास जैसे अवसरों से वंचित कर रहे हैं।
तिब्बतियों के राष्ट्रीय विद्रोह दिवस की 51वीं सालगिरह पर जारी वक्तव्य में दलाई लामा ने कहा कि ये परिस्थितियाँ मठों के कार्यों को संग्रहालय की तरह बनाती हैं और इसकी मंशा जानबूझकर बौद्ध धर्म को खत्म करना है।
तिब्बत की स्वायत्तता के मुद्दे पर चीनी अधिकारियों की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि बातचीत जारी रखने का हमारा रुख कायम रहेगा। उन्होंने कहाकि 30 वर्षों से अधिक समय से मध्यमार्ग के जरिये मैंने तिब्बत के मुद्दे का समाधान करने के लिए चीनी गणराज्य के साथ बातचीत करने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया।
दलाई लामा ने कहा कि यद्यपि मैंने तिब्बतियों की आकांक्षाओं को सुस्पष्ट तरीके से अभिव्यक्त किया है, जो चीनी गणराज्य के संविधान और राष्ट्रीय क्षेत्रीय स्वायत्ता पर कानून के अनुसार है लेकिन हमें अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि चीन के मौजूदा नेतृत्व के रुख को देखते हुए शीघ्र परिणाम हासिल करने की बेहद कम उम्मीद है। फिर भी बातचीत जारी रखने का हमारा रुख नहीं बदलेगा। करीब 15 महीने के अंतराल के बाद गत जनवरी में चीन ने दलाई लामा के विशेष दूतों के साथ बातचीत बहाल की थी। चीन ने दलाई लामा की वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मुलाकात का जोरदार विरोध किया था। (भाषा)