मुंबई। यहां की एक अदालत ने एक बार फिर भाजपा नेता अमित शाह को तुलसीराम प्रजापति और सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों में शुक्रवार को पेश होने से छूट दे दी।
शाह के वकील रोबिन मोगरा द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है कि वे नई दिल्ली में राजनीतिक कार्य में लगे हैं अतएव वे अदालत आने में असमर्थ हैं। विशेष न्यायाधीश बीएच लोया ने शाह और अन्य आरोपियों के छूट संबंधी आवेदनों पर गौर करने के बाद मामले की सुनवाई 17 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। इस बीच यह अदालत 14 जुलाई को शाह के बरी करने संबंधी आवेदन पर सुनवाई कर सकती है।
पिछली बार 20 जून को न्यायाधीश लोया के पूर्ववर्ती जेटी उत्पत ने बिना कोई कारण बताए शाह को पेशी से छूट देने की मांग पर उनके वकील को फटकार लगाई थी।
न्यायाधीश उत्पत ने कहा था कि हर बार आप बिना कोई कारण बताए यह छूट का आवेदन दे रहे हैं। न्यायाधीश उत्पत का 25 जून को तबादला हो गया था।
अदालत ने 9 मई को इस मामले में शाह और अन्य आरोपियों को समन जारी किया था। इस साल प्रारंभ में यह मामला गुजरात से मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया था। सीबीआई ने पिछले साल सितंबर में शाह और अन्य 18 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था जिनमें कई पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं।
सीबीआई के अनुसार गैंगस्टर सोहराबुद्दीन और उसकी बीवी कौसर बी जब नवंबर 2005 में हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे, तब गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने उन्हें अगवा कर लिया था और गांधीनगर के समीप एक कथित फर्जी मुठभेड़ में उन्हें मार गिराया था। दावा किया गया था कि सोहराबुद्दीन का संबंध लश्कर-ए-तैयबा से है।
इस मुठभेड़ के चश्मदीद गवाह तुलसीराम प्रजापति को दिसंबर 2006 में बनासकांठा जिले के चपरी गांव में पुलिस ने एक फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था।
सीबीआई का कहना है कि गुजरात के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह इन दोनों घटनाओं की साजिश के पीछे कथित रूप से शामिल थे। (भाषा)