लश्कर के भी खिलाफ है मुकदमा-निकम

बुधवार, 25 नवंबर 2009 (18:13 IST)
विशेष लोक अभियोजक उज्जवल निकम ने कहा कि 26/11 का मुकदमा केवल पाकिस्तानी बंदूकधारी कसाब के खिलाफ ही नहीं, बल्कि हमलों के सूत्रधार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के भी खिलाफ है।

हमलों की बरसी के एक दिन पूर्व एक साक्षात्कार में निकम ने कहा कि कसाब तो आतंकी संगठन का सिर्फ एक मोहरा है। वह और उसके साथी लश्कर का छोटा-सा भाग हैं, जो भारत की व्यावसायिक राजधानी को निशाना बनाकर देश को गंभीर नुकसान पहुँचाना चाहते थे। निकम ने कहा कि अभियोजन ने हमलों से पाकिस्तान के तार जुड़े होने के बारे में ठोस सबूत रखे हैं। यह सबूत आतंकियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के रूप में हैं।

सार्वजनिक अभियोजक ने कहा कि अगर पाकिस्तान अपनी धरती से पैदा हो रहे आतंक को खत्म करना चाहता है तो उसकी जाँच एजेंसियाँ इन सबूतों का उपयोग कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भगोड़े आरोपियों, जिनके बारे में माना जाता है कि वे देश में कहीं छिपे हुए हैं, की आवाजों का मिलान इन आकाओं की आवाज से कर सकता है। यह मिलान लश्कर के उन संदिग्धों से भी हो सकता है, जिन पर वहाँ मुकदमा चल रहा है।

निकम ने कहा कि कसाब ने एक मजिस्ट्रेट के सामने खुलासा किया है कि उसे और उसके एक साथी को पाकिस्तान के एक लश्कर शिविर में एक मेजर जनरल ने प्रशिक्षण दिया था। निकम चाहते हैं कि उस मेजर की पहचान जाहिर की जाए।

निकम ने कहा कि कसाब को अपने किए पर जरा भी अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा कि कसाब ने मजिस्ट्रेट से कहा कि वह अपने जैसे ‘फिदायीनों’ को प्रेरित करने के लिए स्वेच्छा से बयान दे रहा है। उसका यह निर्लज्ज आचरण हमने रिकॉर्ड में रखा है।

हमलों का षड्‍यंत्र पाकिस्तान में रचा जाने के कारण अभियोजन द्वारा इसे साबित करना एक चुनौती भरा काम था। इस पर निकम ने कहा कि सौभाग्य से, अब मैं दस्तावेजी सबूतों की बदौलत यह साबित करने की स्थिति में हूँ कि कैसे भारत को छिन्न-भिन्न करने का यह शैतानी षड्‍यंत्र लश्कर द्वारा रचा और अंजाम दिया गया।

निकम ने कहा‍ कि जिस क्षण मैंने इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया, उसी क्षण मुझे इसकी वृहदता का अंदाजा लगा। मैंने कई और अहम मामले छोड़ दिए और इसी को पूरी प्राथमिकता दी। मैं हर दिन साढ़े चार बजे उठकर मामले के लिए अपने नोट्स बनाता था। निकम अदालत में पेश होने के पूर्व उस दिन विशेष की रणनीति बनाने के लिए जाँच अधिकारी रमेश महाले के साथ दो घंटे का समय बिताते थे।

उन्होंने कहा कि इस मामले में बचाव पक्ष के वकील के पास अब संभावना बहुत कम बची है क्योंकि कसाब के खिलाफ कई सबूत और गवाहों को अदालत के सामने पेश किया जा चुका है।

निकम ने कहा कि मैं यह समझ नहीं पा रहा कि बचाव पक्ष ने इस मामले में औपचारिक दस्तावेज पेश क्यों नहीं किए। इसके कारण मुकदमे में देरी हुई, क्योंकि हमें आतंकी घटना को साबित करने के लिए और गवाहों से जिरह करनी पड़ी।

कसाब के बारे में निकम ने कहा कि वह बहुत अच्छा अभिनेता है और बार-बार अपना रुख बदल लेता है। वह आरोप को आधा-अधूरा स्वीकार करके और आधा-अधूरा खारिज करके भ्रम पैदा करता है। निकम ने कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों ने उसे कांस्टेबल तुकाराम ओंबले पर गोली चलाते हुए देखा और उसने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया, लेकिन बाद में उसने इससे इनकार कर दिया।

उन्होंने कहा कि मैं कसाब के बयान और उसके आरोप स्वीकार करने के वक्तव्य का अदालत में उपयोग करूँगा और उसका चेहरा सबके सामने लाऊँगा कि वह कितना बड़ा झूठा है और उसे अधिकारियों को बरगलाने का कैसा प्रशिक्षण मिला हुआ है। अन्य आरोपियों के संबंध में निकम ने कहा कि उन्हें उनके आत्मसमर्पण करने या पाकिस्तान द्वारा उन्हें गिरफ्तार करके भारत प्रत्यर्पित करने की जरा भी आशा नहीं है। (भाषा)

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