गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में आने वाले झटकों से लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि ये झटके 2001 में राज्य में आए विनाशकारी भूकंप सरीखे जलजले का पूर्व संकेत हैं।
गाँधीनगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्मोलॉजिकल रिसर्च पिछले दो साल से इस सवाल का जवाब ढूँढने की कोशिश कर रहा है। वर्ष 2001 में कच्छ में आए भूकंप के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्थापित आईएसआर 2005 से चौबीस घंटे राज्य में भूकंप के हल्के झटको का अध्ययन कर रहा है।
मंगलवार को इस क्षेत्र में भूकंप के लगातार दो हल्के झटके लगने से सौराष्ट्र फिर चर्चा में आ गया। आईएसआर के महानिदेशक बीके रस्तोगी ने बताया हम सौराष्ट्र प्रायद्वीप के विभिन्न इलाकों में भूकंप के हल्के झटकों और जमीन के भीतर गड़गड़ाहट की आवाज का विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा सिर्फ 2006 में ही ऐसे 200 से ज्यादा झटके लगे हैं, जिनमें 50 झटकों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 1.5 थी। ये झटके आमतौर पर जामनगर के कलावाड़ तालुका में सीमित रहे। हालाँकि इस साल वह क्षेत्र बढ़कर लगभग 20 किलोमीटर में फैल गया है जहाँ से झटके शुरू होते थे।