Joshimath: 55 और भवन मिले दरारग्रस्त, असुरक्षित भवनों की कुल संख्या बढ़कर हुई 723

एन. पांडेय

मंगलवार, 10 जनवरी 2023 (21:51 IST)
जोशीमठ। जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, चमोली द्वारा जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भूधंसाव के दृष्टिगत मंगलवार को जारी आपदा प्रबंधन संबंधी बुलेटिन के अनुसार भूधंसाव के कारण 55 और भवनों में दरारें मिली हैं। इसे मिलाकर जोशीमठ नगर क्षेत्र में कुल 723 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई हैं। सुरक्षा के दृष्टिगत कुल 131 परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया गया है।
 
घरेलू सामग्री व धनराशि वितरित : जोशीमठ नगर क्षेत्रांतर्गत अस्थायी रूप से 1,425 क्षमता के 344 राहत शिविरों के साथ ही जोशीमठ क्षेत्र से बाहर पीपलकोटी में 2,205 क्षमता के 491 कक्षों/हॉलों को चिन्हित किया गया है। 53 प्रभावित परिवारों को 5,000 रुपए प्रति परिवार की दर से घरेलू सामग्री हेतु धनराशि वितरित की गई है तथा 10 तीक्ष्ण/पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों के प्रभावितों को प्रति भवन 1.30 लाख की दर से धनराशि वितरित की गई।
 
खाद्यान्न किट एवं कंबल वितरित : इसके साथ ही प्रभावित परिवारों को उनकी आवश्यकतानुसार खाद्यान्न किट एवं कंबल वितरित किए गए हैं। कुल 70 खाद्यान्न किट, 70 कंबल एवं 570 ली. दूध प्रभावितों को वितरित किया गया है तथा कुल 80 प्रभावित व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया है।
 
केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट का जोशीमठ दौरा : चमोली से मिले समाचार के अनुसार केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट मंगलवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र जोशीमठ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने आर्मी कैंप सहित नगर क्षेत्र के सुनील वार्ड, जेपी कॉलोनी, नरसिंह मंदिर, गांधीनगर में क्षतिग्रस्त भवनों का निरीक्षण किया और वे प्रभावित लोगों से मिले।
 
रक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार प्रभावित लोगों के साथ हैं। प्रभावित लोगों की हर तरीके से मदद की जा रही है। जोशीमठ आपदा को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पल-पल की खबर ले रहे हैं। मुख्यमंत्री यहां से हर व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जिन लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए, उनको सुरक्षित स्थानों पर रखना अभी हमारी पहली प्राथमिकता है ताकि कोई जानमाल का नुकसान न हो। केंद्र सरकार से हरसंभव मदद दी जा रही है।
 
उन्होंने कहा कि आर्मी कैंप जोशीमठ में भी कुछ भवन क्षतिग्रस्त हुए है। वहां भी सुरक्षा के दृष्टिगत खाली करवाया गया है। यह कष्टकारी है कि हमें अपने घर छोड़ने पड़ रहे हैं, परंतु मजबूरी है कि इस समय हमारी प्राथमिकता अपने लोगों की जान बचाने की है। जिन घरों को खाली कराया जा रहा है, उन लोगों की व्यवस्था कराई जा रही है।
 
उन्होंने कहा कि जो 2 होटल क्षतिग्रस्त हो गए हैं और लटक गए हैं, उनको सीबीआरआई के सहयोग से तोड़ा जा रहा है। ये सब जनहित में किया जा रहा है। आपदा के जानकार विशेषज्ञ और पूरा प्रशासनिक अमला इस समस्या के समाधान और प्रभावित लोगों को राहत देने में जुटा है। प्रभावित लोगों के पुनर्वास में हर प्रकार से सहयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संकट में हम सबको साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
 
नहीं तोड़ने दूंगा होटल : होटल मलारी इन के स्वामी और जोशीमठ के पूर्व प्रमुख ठाकुर सिंह राणा ने कहा है कि उनके होटल का जब तक उन्हें सही तरह से मुआवजा नहीं मिलेगा, वे उसका ध्वस्तीकरण नहीं करने देंगे। मुझे आत्मदाह कर मरना मंजूर है लेकिन बिना मुआवजे और नोटिस के होटल तोड़ना मंजूर नहीं है। 
प्रशासन ने मंगलवार को होटल मलारी इन के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की तैयारी कर रखी थी किंतु होटल मालिक ठाकुर सिंह राणा को कोई लिखित नोटिस नहीं दिया था।
 
राणा ने कहा कि सरकार द्वारा दिए जाने वाले मुआवजे से वे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया कि जब तक सही ढंग से प्रशासन के द्वारा मुआवजा भुगतान की लिखित कार्यवाही नहीं की जाती है, वे होटल का तोड़ने की कार्यवाही नहीं होने देंगे।
 
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैं आत्मदाह करने के लिए तैयार हूं। मुझे किसी प्रकार का नोटिस ध्वस्तीकरण अब तक प्राप्त नहीं हुआ है। कोई अधिकारी मेरे से बात करने के लिए तैयार नहीं है। इस कारण मेरा भारी विरोध और रोष है। मेरी 63 साल की उम्र है और मेरे पास अन्य कोई चारा नहीं है। मकान का पूर्ण रूप से सरकार के द्वारा ध्वस्तीकरण का क्या मानक तय हुआ है, उसे मुझे नहीं बताया गया, न ही मेरे को कोई नोटिस प्राप्त हुए।
 
उन्होंने कहा कि मुझे सिर्फ अखबारों के माध्यम से पता चला कि मेरे मकान का सरकार आज ध्वस्तीकरण कर रही हैं। मैंने इसलिए साफतौर पर कह दिया है कि मलारी इन होटल को तोड़ने नहीं दूंगा, जब तक कि सरकार पूर्ण रूप से मुझे उसका मुआवजा नहीं देती है। आज वे मिट्टी का तेल लेकर व माचिस साथ में रखकर मलारी इन होटल में पहुंचे थे।
 
उन्होंने साफतौर पर ध्वस्तीकरण करने से इंकार करते कहा कि मेरे कमरे के अंदर लाखों रुपए का सामान पड़ा है। उसकी कीमत का कोई आकलन किसी ने नहीं किया। मेरे पास रखने के लिए कोई अन्य स्थान नहीं है। मेरे पास मलारी में 2 कमरे का घर है और वह शीतकाल में बंद रहता है। वहां पर मेरी जो भूमि थी, उसे आर्मी द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया है और उसका भी आज तक मुझे पैसा नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि मैं जाऊं तो कहां जाऊं?
 
Edited by: Ravindra Gupta

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