कश्मीर जोन के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने कहा कि इन 89 आतंकवादियों में से 7 विदेशी आतंकवादी (या पाकिस्तानी) थे। यह (संख्या) पिछले साल के मुकाबले कम है, लेकिन इस साल ज्यादा संख्या में उनके शीर्ष कमांडर मारे गए हैं। वे सेना की 15वीं कोर के जनरल अफसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय और दक्षिण कश्मीर में तैनात विक्टर फोर्स के जनरल अफसर कमांडिंग मेजर जनरल राशिम बाली के साथ संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकवादियों की संख्या के बारे में सवाल करने पर लेफ्टिनेंट जनरल पांडेय ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में करीब 200 से 225 आतंकवादी मौजूद होंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि इस साल अभी तक सीमा पार से घुसपैठ की कोई कोशिश सफल नहीं हुई है। लेफ्टिनेंट जनरल पांडेय ने कहा कि घुसपैठ की 1-2 कोशिशों की सूचना थी। हमने अभियान चलाया है जिसका लक्ष्य उनका पता लगाना और उन्हें (आतंकवादियों को) मार गिराने का है। लेकिन जमीनी स्तर से मिली सूचना के अनुसार घाटी में 15वीं कोर के जोन में घुसपैठ की कोई कोशिश सफल नहीं हुई है। उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा में शोकबाबा सुमलार-अरागाम इलाके में अभियान चलाकर पिछले सप्ताह 3 आतंकवादियों को मारे जाने के संबंध में सेना के अधिकारी ने बताया कि 3 आतंकवादियों में से 2 वैध वीजा लेकर 2017-18 में पाकिस्तान से भारत आए थे।
उन्होंने कहा कि यह, यहां के युवकों को वहां (पाकिस्तान) लेजाकर प्रशिक्षण देने और आतंकवादी के रूप में वापस भेजने का तरीका है। कम से कम 40 युवक शिक्षा के नाम पर वैध वीजा लेकर पाकिस्तान गए हैं, लेकिन वे सभी आतंकवादी बनकर लौटे हैं। जनरल अफसर कमांडिंग ने कहा कि वहां से लौटने वाले युवकों का 'उचित स्वागत' किया जाएगा, लेकिन जो हथियार लेकर लौट रहे हैं उन्हें नहीं बख्शा जाएगा।
पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि वैध वीजा लेकर पंजाब में वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान जाने वाले 40 युवकों में से 27 हथियार लेकर लौटे हैं और उन सभी को मुठभेड़ में मार गिराया गया है। उन्होंने कहा कि बाकी अभी सीमा पार ही हैं, उनमें से कुछ ही अपने परिवार के संपर्क में हैं।(भाषा)