नई दिल्ली। दिल्ली के सबसे बड़े अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों के सामने एक अजीबो-गरीब केस आने से वे सकते में आ गए। एक व्यक्ति ने 20 सेंटीमीटर लंबा चाकू निगल लिया, जो लिवर में जाकर फंस गया। डॉक्टरों की टीम ने लगभग 3 घंटे के दुर्लभ और चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन के बाद इस चाकू को निकालकर मरीज की जान बचा ली।
एम्स के डॉक्टर इस बात से हैरान थे कि आखिर इस 28 साल के व्यक्ति ने तेज धार वाले चाकू को निगला कैसे? उन्हें यह भी हैरत करने वाली चीज लगी कि इस चाकू ने श्वास नली, फेफड़ों, हृदय और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।
एम्स में जठरांत्रिय शल्यक्रिया और यकृत प्रतिरोपण विभाग में प्रोफेसर डॉ. निहार रंजन दास ने कहा, यह चाकू मुंह से लिवर तक पहुंचने के रास्ते में बहुत आसानी से ग्रासनली, वायुनली, हृदय या बड़ी नसों को काट सकता था।
उन्होंने कहा, हमने काफी जगह पढ़कर यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या पहले कभी इतनी बड़ी वस्तु को निगलने की बात सामने आई थी? लेकिन हमें पहले ऐसा कोई मामला नहीं मिला, हम इस बारे में और अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले ऐसे मामले सामने आए हैं जब अमाशय के हिस्से में छेद कर छोटी सूई या मछली के कांटे यकृत तक पहुंच गए हों।
पीड़ित मरीज हरियाणा के पलवल का रहने वाला है और दिहाड़ी मजदूरी करता है और अकसर नशे के लिए गांजा पीता था। उस व्यक्ति ने डॉक्टरों को बताया कि कोरोनावायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान करीब डेढ़ महीने पहले जब वह रसोई में था तो उसकी चाकू खाने की इच्छा हुई। उसने उसे चबाने की कोशिश की और बाद में पानी के साथ उसे निगल गया।
डॉक्टरों ने कहा कि करीब एक महीने तक उसे कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन बाद में उसे खाने में दिक्कत होने लगी, वजन गिरने लगा, बुखार और पेट में दर्द भी रहने लगा। जल्द ही उसका पेट दर्द असहनीय हो गया। उसे एक स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए भेज दिया गया।
डॉ. दास ने कहा, पेट के अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे से यकृत में रसोई के चाकू के पेट में होने की बात सामने आई। इसे निकालने में आने वाली जटिलताओं के मद्देनजर इस मरीज को एम्स रैफर कर दिया गया। यह मरीज 12 जुलाई को एम्स में आपातकालीन विभाग में आया था। उसे कोरोनावायरस संक्रमण नहीं था।
डॉक्टर दास ने कहा कि सीटी स्कैन से मरीज के शरीर में चाकू की सही स्थिति का पता चल चुका था। चाकू उसकी छोटी आंत के हिस्से को चीरते हुए यकृत में घुसा था। जिसकी वजह से खून बहा और संक्रमण के साथ ही वहां पस भी बन गया था। उन्होंने बताया कि उसका हीमोग्लोबिन का स्तर भी कम था और वजन भी कम हो गया था। उसके सीने के दाहिनी तरफ पानी भर गया था।
ऐसे में तत्काल उसका ऑपरेशन संभव न था। डॉक्टरों ने पहले दूसरी तकलीफों को कम करने और रक्त चढ़ाने का फैसला लिया। उसे एंटीबायोटिक का हाईडोज दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उसके शरीर से रोजाना पाइप के जरिए चार से पांच दिनों तक 100 मिलीलीटर पस निकाला गया।
डॉ. दास ने कहा कि एक दूसरी ट्यूब से उसके सीने से पानी निकाला गया। उसे मनोवैज्ञानिक परामर्श भी इस दौरान दिया जाता रहा। उन्होंने कहा कि करीब 7 दिनों बाद जब उसकी स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ तब हमने उसका ऑपरेशन किया।
डॉ. दास ने कहा कि करीब तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद 19 जुलाई को आंत के रास्ते चाकू को निकाल दिया गया। मरीज की हालत अब खतरे से बाहर है। (भाषा इनपुट के साथ)