दरअसल, संविधान की पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधी प्रावधानों से संबंधित है। पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, जिसे पेसा अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है, को 1996 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था।
पेसा अधिनियम के तहत देश के विभिन्न राज्यों को अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को मजबूत करने के लिए इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नियम बनाने को कहा गया था। केजरीवाल ने कहा, हम संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को शब्दशः लागू करेंगे। हम पेसा अधिनियम को भी सख्ती से लागू करेंगे, जो कहता है कि कोई भी सरकार ग्रामसभा की सहमति के बिना आदिवासी क्षेत्र में कार्रवाई नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा, एक आदिवासी सलाहकार समिति है। इसका काम आदिवासी क्षेत्रों के विकास की निगरानी करना है कि धनराशि का उपयोग कैसे करना है। कानून कहता है कि आदिवासी सलाहकार समिति का अध्यक्ष आदिवासी होना चाहिए जबकि गुजरात में मुख्यमंत्री इस समिति का नेतृत्व करते हैं। यह रोका जा सकता है।(भाषा)