पटना। बिहार में कांग्रेस की वैसे ही हालत खराब है। कई नेताओं का राजद से गठबंधन तोड़ देने का दवाब है क्योंकि लालू अब दागी हो चुके हैं। लेकिन आलाकमान गठबंधन नहीं तोड़ना चाहता इसके चलते बिहार कांग्रेस में कलह खुलकर सामने आ गई है। हाल ही में आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी का हटाकर उनकी जगह कैकब कादी को राज्य का नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है। आलाकमान का यह फैसला भी अधिकतर कार्यकर्ताओं को पसंद नहीं आ रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक अशोक चौधरी की जगह लेने वाले कादरी के सम्मान में राज्य के कांग्रेस हेडक्वॉटर में एक कार्यक्रम रखा गया था, लेकिन यहां कई विधायक नहीं पहुंचे। राज्य के 27 पार्टी विधायकों में से 26 नदारद थे। विधायक सिद्धार्थ सिर्फ कार्यक्रम में पहुंचे, जबकि करीब 15 विधायक और एमएलसी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के घर उनसे मिलने पहुंचे। हालांकि उन विधायकों के नाम जाहिर नहीं किए गए, लेकिन इसे बगावत के तौर पर ही देखा जा रहा है। हालांकि चौधरी को दल-बदल विरोधी कानून से पार पाने के लिए 18 विधायकों के समर्थन की जरूरत है।
हाईकमान की ओर से पद लिए जाने पर चौधरी ने भी खासी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि उनकी दो पीढ़ियों ने बिहार में सिर्फ कांग्रेस के लिए काम लिया लेकिन उनका इस तरह से पद से हटाया जाना बेहद गलत है। पार्टी के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि कांग्रेस के फैसले का सम्मान करते हैं। वहीं कादरी के चार्ज लेने के बाद उन्होंने अपना पहला फैसला लिया कि वे सृजन घोटाले में नीतीश सरकार को घेरने की कोशिश करेंगे।
उल्लेखनीय है कि बिहार में गठबंधन टूटने के बाद से ही आलाकमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से नाराज था। पार्टी के अंदर गुटबाजी चरम पर थी और बयानबाजी जारी थी। चौधरी पर पिछले दिनों विधायकों को बरगलाने और पार्टी तोड़ने का आरोप लगा था। कांग्रेस नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद बिहार में कांग्रेस विधायकों का बिखराव होने से बच गया था।