हौसलों की कहानी, 1 पांव से 1 किमी चलकर स्कूल जाती है 10 साल की दिव्यांग सीमा, गांव में जगाती है शिक्षा की अलख
जमुई। शिक्षा वो शस्त्र है, जिसे हासिल कर मनुष्य समाज में स्थित सभी असमानताओं एवं हीनभावनाओं से लड़ सकता है। भारत जैसा देश, जहां की करीब 30 प्रतिशत आबादी जागरूकता व सुविधाओं की कमी के कारण आज भी अशिक्षित है, वहां कुछ उदाहरण ऐसे निकलकर आते हैं जो सैंकड़ों को प्रेरित कर जाते हैं।
ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया बिहार के जमुई से, जहां 10 साल की सीमा अपने एक पैर से चलकर स्कूल जाती है। सोशल मीडिया पर आजकल इस बच्ची के साहस का वीडियो बहुत वायरल हो रहा है। आइये जानते हैं, सीमा के 'असीमित' संघर्ष की कहानी....
दो साल पहले, बिहार के जमुई जिले की 10 वर्षीय सीमा ने सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर खो दिया था, लेकिन इससे उसका शिक्षा प्राप्त करने का जूनून कम नहीं हुआ। घोर गरीबी के कारण तीन पहियों वाली साइकिल या बैसाखी की कमी से बेफिक्र, ये बच्ची हर दिन एक पैर से 1 किलोमीटर स्कूल जाने लगी।
सीमा जमुई के फतेहपुर माध्यमिक विद्यालय की कक्षा चौथी की छात्रा है, जो सिर्फ अपनी पढाई के प्रति समर्पित ही नहीं है, बल्कि अपने गाँव की अन्य लड़कियों को भी पढ़ाती है। सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कुछ लोगों ने सीमा के साहस की दाद दी,तो किसी ने मदद का हाथ बढ़ाया।
जमुई जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार सिंह ने बुधवार को सीमा के घर का दौरा किया और उसे एक तिपहिया साइकिल भेंट की। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति इस नन्ही बालिका के समर्पण और इच्छाशक्ति को हम सलाम करते हैं, सीमा समाज की एक बड़ी आबादी के लिए मिसाल कायम कर रही है। हमने उसे एक सप्ताह के भीतर कृत्रिम पैर प्रदान करने के लिए उसका माप भी लिया है।
कलेक्टर अविनाश ने सीमा को पक्का घर देने का वादा भी किया है। उन्होंने कहा कि हम आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में शिविरों का आयोजन कर दिव्यांग बच्चों व उनके परिवारों को चिकित्सा सहायता, आवास, राशन कार्ड व अन्य योजनाएं प्रदान करेंगे।