बीएमसी चुनाव में शिवसेना-भाजपा में कड़ा मुकाबला!

शनिवार, 7 जनवरी 2017 (12:40 IST)
मुंबई। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का आगामी चुनाव जहां एक ओर सत्तारूढ़ शिवसेना के  लिए अस्तित्व की लड़ाई साबित होगा, वहीं अब महाराष्ट्र में प्रमुख गठबंधन सहयोगी भाजपा  की नजरें एशिया के सबसे धनी नगर निकाय की कमान हासिल कर शहर के राजनीतिक  परिदृश्य में खुद की जगह बनाने पर टिकी हुई है।
 
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि चुनाव में मुख्य रूप से मुकाबला शिवसेना और भाजपा  के बीच रहेगा। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस शिवसेना के साथ गठबंधन करने के विषय पर  फैसला करेंगे जिसने अपनी तरफ से यह कहा है कि वह गठबंधन तभी करेगी, जब उसके  सामने कोई सम्मानजनक समझौता होगा।
 
हालांकि सत्तारूढ़ सहयोगियों के रिश्तों में ठंडापन  आया हुआ है और संभावित गठबंधन पर चर्चा के लिए इन दोनों का वार्ता की मेज पर आना  अभी बाकी है।
 
भाजपा के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने जिला इकाई के अध्यक्षों को नगर निकायों के चुनाव  के लिए संभावित प्रत्याशियों की एक सूची जमा करने को कहा है। आंतरिक सर्वेक्षण सबसे  अधिक रेटिंग पाने वाले प्रत्याशियों को ही पार्टी टिकट देगी। 
 
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में बड़ा दल बनकर उभरने वाली भाजपा पहले से ही सभी वार्डों  में मतदान केंद्रों तक अपने संगठनात्मक ढांचों को मजबूत करने में लगी हुई है। जमीनी  कार्यकर्ताओं का मानना है कि भाजपा को अपने बूते चुनाव मैदान में उतरना चाहिए। पार्टी को  उम्मीद है कि उसे 227 सदस्यीय सदन में 80 से अधिक सीटों पर जीत मिलेगी या वह सदन  की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी। एक नेता ने कहा कि अभी यह सही समय है। अगर  अभी नहीं तो भाजपा कभी भी मुंबई में विस्तार करने में सक्षम नहीं हो सकेगी। 
 
भाजपा नेता ने कहा कि 2014 में आए विधानसभा चुनावों के परिणामों के मुताबिक भाजपा  144 वार्डों में आगे थी। नगर निकाय में 2 दशक से अधिक समय से शिवसेना के साथ सत्ता  पर काबिज भाजपा सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं करना चाहती है और वहां पर कथित  भ्रष्टाचार को उजागर कर शिवसेना के साथ गठबंधन तोड़ना चाहती है। इस समय भाजपा के  33 पार्षद हैं जबकि सत्तारूढ़ शिवसेना के 75 सदस्य हैं। कांग्रेस और राकांपा के पास क्रमश:  52 और 13 और मनसे के 28 सदस्य हैं।
 
भाजपा के एक नेता ने बताया कि शिवसेना और भाजपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने से  चुनावी समर में कांग्रेस के लिए कोई स्थान शेष नहीं रहेगा। कांग्रेस में पहले से गुटबाजी चल  रही है और वह राष्ट्रीय मुद्दों को उठाएगी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाएगी। यह  बात भाजपा के पक्ष में काम करेगी, क्योंकि मोदी के समर्थक एकजुट होंगे और पार्टी के साथ  खड़े होंगे।
 
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि राज ठाकरे की मनसे को अब दौड़ में नहीं माना जा  रहा है जबकि विधानसभा चुनाव में 1 सीट पर जीतने वाली एमआईएम की नजर मुस्लिम वोटों  के एक बड़े हिस्से पर रहेगी।
 
राकांपा ने पहले ही 45 प्रत्याशियों की एक सूची जारी कर दी है जिससे कांग्रेस-राकांपा के बीच  गठबंधन की संभावना कमजोर नजर आती है। कांग्रेस के पास संभावित प्रत्याशियों के करीब  1,400 आवेदन पहुंचे हैं और पार्टी ने उम्मीदवारों के चयन और छानबीन की प्रक्रिया शुरू कर  दी है।
 
शहर कांग्रेस के प्रमुख संजय निरुपम ने चुनाव में पार्टी के अकेले उतरने की बात कही है  जबकि राज्य कांग्रेस के प्रमुख अशोक चव्हाण ने कहा है कि अगर स्थानीय इकाई चाहेगी तभी  गठबंधन होगा। (भाषा)
 

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