अमृतसर। गुरु ग्रंथ साहिब के 'सरूप' (प्रतिलिपि) को प्रदर्शन स्थलों पर ले जाने के संबंध में फैसला करने के लिए अकाल तख्त द्वारा गठित एक समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस समिति ने सिख धार्मिक संगठनों, शिक्षाविदों और विद्वानों के विचार प्राप्त करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
अकाल तख्त सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है। समिति ने अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को अपनी यह रिपोर्ट सौंपी है। अकाल तख्त ने यह तय करने के लिए 16 सदस्यीय एक उपसमिति का गठन किया था कि क्या गुरु ग्रंथ साहिब को धरना और प्रदर्शन स्थलों के अलावा उन जगहों पर ले जाया जा सकता है, जहां पवित्र ग्रंथ का अनादर होने की आशंका होती है।
पीर मोहम्मद ने कहा कि उन्होंने और पैनल के अन्य सदस्यों ने शिक्षाविदों, विद्वानों और धार्मिक संगठनों से मुलाकात की, जिसमें दशमेश तरना दल, दमदमी टकसाल, सिख मिशनरी कॉलेज- रूपनगर, चीफ खालसा दीवान, गुरु गोबिंद सिंह स्टडी सर्कल- लुधियाना और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी शामिल हैं।
यह मुद्दा पिछले महीने की अजनाला की घटना के बाद सामने आया था, जब कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों ने अवरोधक तोड़ दिए थे और अमृतसर शहर के बाहरी इलाके में एक पुलिस थाने में घुस गए थे और पुलिस से भिड़ गए थे। प्रदर्शनकारी अमृतपाल के एक सहयोगी की रिहाई की मांग कर रहे थे। फोटो सौजन्य : टि्वटर
Edited By : Chetan Gour (भाषा)