आस्था को बढ़ाने का काम जरूर किया है।
प्रसाद के बाद ही होती है वापसी : शाम छह बजे पहाड़ी से उतरने के बाद ये भालू मंदिर परिसर में ही काफी समय तक रहते हैं। आरती के समय दोनों हाथ जोड़कर खड़े होते हैं। यह बात और है कि वे सब एक जगह खड़े होने की बजाय बिखरे हुए होते हैं।