जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार भीमा को सोलापुर जिले के पंढरपुर में 'चंद्रभागा' कहा जाता है, क्योंकि यह आधे चांद जैसी लगती है। यह महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना से होती हुई 861 किलोमीटर के क्षेत्र में दक्षिण-पूर्व की ओर बहती है। इसके बाद यह कृष्णा नदी में प्रवेश कर जाती है।
मुनगंतीवार ने कहा कि नदी पंढरपुर में प्रदूषित हो जाती है, जो कि एक पवित्र स्थल है। हम 1 जून को पंढरपुर में बैठक आयोजित करेंगे ताकि परियोजना पर चर्चा की जा सके। इसमें विशेषज्ञ शामिल होंगे। हमने देशभर से लगभग 200 विशेषज्ञों को बुलाया है। इनमें से कुछ विशेषज्ञ गंगा पुनरुद्धार परियोजना पर भी काम कर रहे हैं।
मंत्री के समक्ष विभिन्न विभागों ने शुरुआती प्रस्तुति दी। इन विभागों में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी शामिल है। अपनी रिपोर्ट में उसने भीमा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण को रेखांकित किया है। इंद्रायणी, मुला और मुथा, भीमा की बड़ी सहायक नदियां हैं, जो पुणे जिले में सीवर के पानी के कारण प्रदूषित हो जाती हैं।
मुनगंतीवार ने कहा कि सरकार का ध्यान पंढरपुर पर केंद्रित है, क्योंकि यह एक पवित्र स्थान है और 1 साल में 2 बार लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। उन्होंने कहा कि यह पवित्र स्थानों को प्रदूषणमुक्त बनाने की दिशा में पहला कदम है और हम चंद्रभागा से शुरुआत करेंगे। विस्तृत परियोजना के अंतिम रूप ले लेने के बाद इस पर आने वाले खर्च का आकलन होगा। (भाषा)