एसवाईएल के मुद्दे पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल के साथ बैठक के दौरान विचार-विमर्श में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 9 जुलाई को हुई पिछली बैठक के दौरान केंद्र सरकार ने बताया था कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता निलंबित कर दिया गया है, जिससे इस समझौते के तहत पाकिस्तान को दिए जाने वाले पश्चिमी नदियों में से एक चिनाब नदी के पानी के उपयोग के लिए भारत के लिए बड़ा अवसर खुला है।
उन्होंने कहा कि केंद्र को अब चिनाब का पानी रणजीत सागर, पौंग या भाखड़ा जैसे भारतीय बांधों के माध्यम से लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अतिरिक्त पानी को लाने के लिए नई नहरों और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी, जिसके लिए पंजाब में इसका निर्माण होगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पहले इन नहरों और बुनियादी ढांचे के साथ पंजाब की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं और पंजाब की जरूरतें पूरी होने के बाद बचा हुआ पानी उसी नहरी प्रणाली के माध्यम से हरियाणा और राजस्थान को आपूर्ति किया जा सकता है।
कम होगी भूजल पर निर्भरता : मुख्यमंत्री ने कहा कि चिनाब के पानी के उपयोग से पंजाब के भूजल पर निर्भरता कम होगी और नहरी पानी आधारित सिंचाई को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे किसानों को लाभ होगा, जो पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और साथ ही भविष्य की पीढ़ियों के लिए राज्य का भूजल बचेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब, जो वर्तमान में भूजल की कमी का सामना कर रहा है, को इन नदी जलों के उपयोग या वितरण के लिए भविष्य की किसी भी रणनीति में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भगवंत सिंह मान ने जोरदार अपील की कि पश्चिमी नदियों के पानी को प्राथमिकता के आधार पर पंजाब को आवंटित किया जाना चाहिए और यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश में मौजूदा भाखड़ा और पौंग बांधों के ऊपर नए भंडारण बांध बनाए जाने चाहिए, जिससे पश्चिमी नदी जलों के भंडारण और नियमन में काफी वृद्धि होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के पास अन्य स्रोतों से अतिरिक्त पानी प्राप्त करने की काफी संभावना है, जिसका हिसाब लगाने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को घग्गर नदी, टांगरी नदी, मारकंडा नदी, सरस्वती नदी, चौटांग-राकशी, नई नाला, सैहबी नदी, कृष्णा धुआं और लंडोहा नाला से 2.703 एमएएफ पानी भी मिल रहा है, जिसे राज्यों के बीच पानी के वितरण का फैसला करते समय अब तक ध्यान में नहीं लिया गया। भगवंत सिंह मान ने दोहराया कि एसवाईएल नहर एक भावनात्मक मुद्दा है और इससे पंजाब में कानून व्यवस्था के लिए गंभीर हालात बन सकते हैं और यह एक राष्ट्रीय समस्या बन जाएगी, जिसका खामियाजा हरियाणा और राजस्थान को भी भुगतना पड़ेगा।