गुर्जर ने बुधवार को सोशल मीडिया के जरिए कर्नल बैंसला पर केवल अपने बेटे को आगे लाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब सरकार गुर्जरों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है तो आंदोलन शुरु करने से पहले उसके साथ वार्ता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज के पंच पटेलों ने एक राय होकर सरकार के साथ बातचीत की और वार्ता सफल भी रही और 14 बिंदुओं पर सहमति बनी जिसमें गुर्जरों की सभी मांगें आ गई थीं।
उन्होंने कहा कि कर्नल बैंसला ने अपने बेटे की राजनीतिक स्थापना एवं मीडिया में बने रहने के लिए इस समझौते को नहीं माना और 50-60 लोगों को साथ लेकर रेल पटरियों पर जाम लगाकर आंदोलन शुरू कर दिया जबकि जब सरकार बातचीत के लिए तैयार है और वह इसके लिए बुला रही है तो बातचीत की जानी चाहिए, लेकिन कर्नल बैंसला ने अपने बेटे के लिए केवल पटरियों पर ही बातचीत करने की हठधर्मिता अपना ली।
उन्होंने कहा कि जब खेलमंत्री अशोक चांदना बातचीत के लिए आगे आए, तब उन्होंने उनसे वार्ता क्यों नहीं की?जब उन्हें बातचीत पटरियों पर ही करनी थी तो अब बातचीत के लिए वे जयपुर क्यों आ रहे हैं? गुर्जर ने कहा कि कर्नल बैंसला ने अपने बेटे को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि यह कोई राजा की गद्दी नहीं है, जो बेटे को सौंप दी है। उन्होंने कहा कि गुर्जरों का यह सामाजिक आंदोलन है और गुर्जर समाज यह संदेश देना चाहता था कि वह अपनी मांगों के लिए बातचीत के लिए तैयार है। वर्ष 2007 से आंदोलन में मुकदमों का दर्द झेल रहे गुर्जर समाज ने ऐसी समस्याओं से बचने के लिए बातचीत की पहल की और उनकी वार्ता सकारात्मक भी रही। लेकिन कर्नल बैंसला की हठधर्मिता ने कुछ लोगों को रेल पटरी पर पहुंचा दिया। उन्होंने कहा कि इस कारण इस आंदोलन में गुर्जर समाज के ज्यादा लोग नहीं जुट पाए।