जम्मू। अमरनाथ यात्रा को लेकर फिलहाल असमंजस का माहौल है। यह स्थिति अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड द्वारा हरियाणा के एक लंगर संगठन को 56 दिनों के लिए लंगर लगाने की दी गई अनुमति के साथ-साथ बालटाल और चंदनवाड़ी मार्गों पर हो रही तैयारियों के कारण है। दरअसल, श्राइन बोर्ड द्वारा कैथल के बर्फानी सेवा मंडल को बालटाल में 28 जून से 22 अगस्त तक लंगर लगाने की अनुमति दिए जाने का पत्र जारी करने के बाद असमंजस पैदा हुआ है।
हालांकि श्राइन बोर्ड अभी भी इस मामले पर कुछ नहीं बोल रहा है कि यात्रा कब शुरू होगी लेकिन यह पत्र उन भक्तों की धड़कनों को बढ़ा चुका है, जो यात्रा में शिरकत करना चाहते हैं। श्राइन बोर्ड के सूत्रों के अनुसार यूं तो बालटाल यात्रा मार्ग पर बर्फ को हटाने का कार्य 90 परसेंट हो चुका है, पर चंदनवाड़ी मार्ग पर यह कोई रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। इतना जरूर था कि यात्रा में सहयोग करने वाले घोड़े-पिठ्ठू, पालकी वाले इत्यादि को वैक्सीन लगाने का कार्य तेज किया जा चुका था।
पहले से तय कार्यक्रमानुसार यात्रा 28 जून को आरंभ होनी है 11 दिनों के बाद। पर न ही यात्रा मार्ग तैयार है और न ही पंजीकरण का कार्य पूरा हो पाया है। ऐसे में जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा था, उनमें यात्रा को बालटाल मार्ग से 15 दिनों के लिए ही आयोजित किए जाने का विकल्प सबसे प्रमुख था।
पर इतना जरूर था कि कश्मीरी भी इस बार अब दबे स्वर में इस यात्रा के आयोजन का विरोध करने लगे थे। यह विरोध खासकर कोरोना मामलों से जुड़े अधिकारियों और डॉक्टरों के समूहों द्वारा किया जा रहा था जिनका मानना था कि कश्मीर में कोरोना की दूसरी लहर के लिए पहले भी टूरिस्ट ही जिम्मेदार थे और अगर यात्रा आयोजित की जाती है तो कश्मीर को एक बार फिर इस खतरे के दौर से गुजरना होगा।