पुलिस ने कहा कि इरशाद अपराध स्थल पर मौजूद था और दंगा कर रही भीड़ का नेतृत्व कर रहा था। आरोपी ने इस आरोप से इंकार किया है। न्यायाधीश ने इरशाद को जमानत देते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष प्रथमदृष्टया यह साबित करने में नाकाम रहा कि उसकी भूमिका सह आरोपी मोहम्मद फुरकान की तरह नहीं है, जिसे 15 जून, 2021 को जमानत दी गई थी।
न्यायाधीश ने आदेश में कहा, मेरा मानना है कि आवेदक समानता के आधार पर मामले में जमानत का हकदार है। न्यायाधीश ने आरोपी को 10,000 रुपए का निजी मुचलका और इतनी ही जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) के अनुसार आरोपी अपराध स्थल या उसके पास पाया गया और एक चश्मदीद ने भी स्पष्ट रूप से उसकी पहचान की है। आरोपी के वकील अब्दुल गफ्फार ने अदालत से कहा कि इरशाद के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत उपलब्ध नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को सीसीटीवी फुटेज में न तो कोई बन्दूक ले जाते हुए देखा गया और न ही उसके पास से ऐसी कोई चीज बरामद हुई।
संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और इसके विरोधियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी, 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं, जिनमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे।(भाषा)