उसने कहा, मैं अपनी 13 साल की बहन के साथ किराए पर लिए मकान की पहली मंजिल पर था। शोर के बारे में पता लगाने के लिए मैं बाहर निकला। स्थानीय लोगों ने भीड़ को रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुसलमान किराएदारों की तीन दुकानें जला दीं। ये दुकानें एक कबाड़ी की, एक टीवी मैकेनिक की और एक दुकान कैंचियों में धार लगाने वाले एक शख्स की थीं।
आग की लपटें दुकानों से फैल कर पहली मंजिल तक पहुंच गईं, जहां करण अपने परिवार के साथ रहता था। वह अपनी बहन को बचाने सीढ़ियों की तरफ भागा। करण ने कहा, मेरे माता-पिता उस वक्त घर पर नहीं थे, बाद में वे लौटे और हमने जरूरी सामान इकट्ठा किया तथा अपनी जान बचाकर भागे। आग भूतल से पहली मंजिल पर हमारे घर तक फैल गई।
फेरी लगाने वाले उसके बड़े भाई आशीष ने बताया कि पूरे परिवार ने पड़ोस में शरण ली और अब उनके लिए अपनी जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो रहा है। आशीष ने कहा, हम गरीब लोग हैं। हममें से कोई भी कमाने नहीं जा पा रहा है। हम स्थिति के सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं। यह मकान अब रहने लायक नहीं रह गया है। हमें कहीं ओर जाना पड़ेगा।
उसने बताया कि परिवार अपने कमरों में नहीं जा पा रहा, क्योंकि आग लगने के कारण भीतरी हिस्सा बहुत गर्म है। उसने कहा, हम दिन का ज्यादातर वक्त सड़क पर बिता रहे हैं और रात में एक पड़ोसी के घर में सो रहे हैं। परिवार के एक पड़ोसी किशन ने बताया कि मदद के लिए पुलिस को कई बार फोन किया गया, लेकिन कोई मदद नहीं पहुंची।