मथुरा के जिला वन संरक्षण अधिकारी रघुनाथ मिश्रा ने बताया, हथिनी का वाइल्डलाइफ एसओएस टीम की देखरेख में उपचार चल रहा है। उससे दिनभर काम करवाने के बाद रात में उसे कसकर बांध दिया जाता था। जिसकी वजह से वह लेटने और आराम करने में भी असमर्थ थी।
उन्होंने बताया कि उसकी हालत की जानकारी मिलने पर झारखंड और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों के प्रमुख वन्यजीव वार्डन ने बीमार हथिनी को तत्काल लाने की अनुमति जारी की, इसके बाद नए साल की पूर्व संध्या पर एक दल को मथुरा से धनबाद के लिए रवाना किया गया।
पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक डॉ. इलैयाराजा ने बताया है कि वर्षों की उपेक्षा और दुर्व्यवहार ने उसके स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाला है। उन्होंने बताया कि उसके पैरों में कांच, कीलें और पत्थर के टुकड़े घुसे थे, जो निकाल दिए गए हैं।(भाषा)