मिली जानकारी के अनुसार राजना नागर विधानसभा अनुविभाग की रहने वाली आदिवासी युवती केशकला आदिवासी ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के लिए आवेदन किया था, पर भ्रष्टाचार के चलते उसका चयन नहीं हो सका जिसके चलते वह कलेक्टर कोर्ट में चली गई। पर अब तक उसे न्याय नहीं मिलने से वह और परेशान तथा तनावग्रस्त हो गई। वह गत दिनों कलेक्टोरेट पहुंची और उसने कलेक्टर को आत्मदाह की अनुमति देने का आवेदन दिया। आवेदन पढ़कर कलेक्टर भौंचक्के रह गए और रोती हुई युवती को घंटेभर तक सार्वजनिक खड़े होकर समझाइश दी।
कलेक्टर ने अपनी आपबीती भी सुनाते कहा कि किस तरह उनके पिताजी बचपन में ही गुजर गए थे और किस तरह उनकी मां ने अपने बच्चों को पाला और उन्हें आईएएस बनाया। अगर मेरी मां सोच लेती कि मेरे पति नहीं हैं और मैं बच्चों को कैसे पालूं? अगर मेरी मां हारकर बैठ जाती तो क्या आज मैं आईएएस होता? उसने संघर्ष किया और उसे फल मिला। कलेक्टर ने इसी तरह के कई उदाहरण दिए, जो लड़की के दिमाग में सटीक बैठ गए।
मामला चाहे जो भी हो, पर इतना तो तय है कि इस तरह किसी को इतनी देर तक समझाते किसी आईएएस को पहली बार देखा गया है। अगर समय रहते कलेक्टर साहब लड़की को न समझाते और उसका दिमाग मौत की तरफ से परिवर्तित नहीं करते तो युवती जरूर कोई गलत कदम उठा लेती। आज कलेक्टर ने उसकी जान बचा ली।