कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके गुर्गो ने 2-3 जुलाई की बीच रात को बिकरू गांव में घात लगाकर पुलिस पार्टी पर हमला किया था, जिसमें बिल्हौर के पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मी मारे गए थे। पता चला है कि पुलिस कर्मियों को बड़ी बेहरमी से मारा था। सीओ मिश्रा के सिर में गोलियां दागने के अलावा उन पर कुल्हाड़ी से भी हमला किया गया था।
बदमाश विकास दुबे को डर था कि देवेंद्र मिश्रा उसका एनकांउटर कर सकते हैं। बिकरू गांव में सीओ मिश्रा के नेतृत्व में ही पुलिस पार्टी विकास को धर दबोचने पहुंची थी। साहसी मिश्रा को पता चला था कि विकास अपने मामा के घर छुपा हुआ है। वे दीवार फांदकर आंगन में कूदे लेकिन उन्हें नहीं पता था कि गुंडे के पास पहले से ही आने की खबर थाने से पहुंच चुकी है।
पुलिस महकमे में सीओ मिश्रा ईमानदार अफसरों में शुमार किए जाते थे। उन्हें मालूम था कि क्षेत्र में विकास दुबे सबसे बड़ा अपराधी है, लिहाजा उससे जुड़ा कोई भी मामला आता था तो वे सख्ती से पेश आते थे। यह भी पता चला है कि इस गुंडे ने धोखाधड़ी करने के लिए उसके घर के नौकर नौकरानी से लेकर गुर्गो तक के कई फर्जी पहचान पत्र तक बनवा रखे थे।
हालांकि पुलिस ने कहा था कि इस पत्र का कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं है। अनंत देव ने कहा था कि बिकरु कांड में मारे गए बिल्हौर के पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा द्वारा कथित 14 मार्च को लिखे गए पत्र में किए गए हस्ताक्षर मिश्रा के दस्तखत से मेल नहीं खाते। साथ ही उसमें ना कोई तारीख है और ना ही कोई सीरियल नंबर।