वर्दीधारी पदों पर मिलेगा सीधा लाभ : इस नियमावली के तहत अब सेवामुक्त अग्निवीरों को पुलिस आरक्षी (नागरिक/पीएसी), उप निरीक्षक, प्लाटून कमांडर पीएसी, अग्निशामक, अग्निशमन द्वितीय अधिकारी, बंदी रक्षक, उप कारापाल, वन आरक्षी, वन दरोगा, आबकारी सिपाही, प्रवर्तन सिपाही और सचिवालय रक्षक जैसे महत्वपूर्ण वर्दीधारी पदों पर 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण मिलेगा। साथ ही, उन्हें टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में भी सेवायोजित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि देश की सेवा कर लौटे पूर्व अग्निवीर प्रदेश का गौरव हैं। उन्हें सम्मान और रोजगार का अवसर देना हमारी जिम्मेदारी है। यह निर्णय सेवामुक्त हुए अग्निवीरों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। हमारी सरकार पूर्व सैनिकों और अग्निवीरों को हर तरह से सेवायोजन का प्रयास कर रही है।
शहीद परिवारों के लिए बड़ा कदम : अग्निवीरों को आरक्षण देने के साथ ही राज्य सरकार ने शहीद सैनिकों और वीर बलिदानियों के परिवारों के लिए भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। अब शहीद सैनिकों के परिजनों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी गई है। वहीं, परमवीर चक्र विजेताओं की अनुग्रह राशि 50 लाख से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपये कर दी गई है। साथ ही, वीर बलिदानी परिवारों में से एक परिजन को सरकारी नौकरी भी प्रदान की जा रही है।
राज्य की सैन्य परंपरा इतनी गहरी है कि यहां लगभग हर परिवार से कोई न कोई सदस्य देश की सीमाओं पर मातृभूमि की रक्षा में योगदान देता आया है। यही वजह है कि यहां की वीरता और देशभक्ति की विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। इसी सैन्य परंपरा को सहेजने और शौर्य की धरोहर को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार ने देहरादून में पांचवें धाम के रूप में सैन्य धाम का निर्माण कराया है, जो अब पूर्ण हो चुका है। यह धाम प्रदेश के लिए न केवल सैन्य श्रद्धा का केंद्र बनेगा बल्कि शहीदों की स्मृति को सदैव जीवंत रखेगा।