UP : सेंट्रल मार्केट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चला बुलडोजर, कॉम्‍पलेक्‍स की 22 अवैध दुकानें ध्वस्त, मायूस नजर आए व्यापारी

हिमा अग्रवाल

शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 (19:39 IST)
Illegal construction case : लंबे समय से चल रहे विवाद और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार शनिवार को आवास विकास परिषद ने सेंट्रल मार्केट में अवैध निर्माणों पर बड़ी कार्रवाई की। भारी पुलिसबल की मौजूदगी में जेसीबी मशीनों ने एक के बाद एक दुकानों को ध्वस्त कर दिया। इस दौरान व्यापारी अपनी दुकानों को टूटता देख आंसुओं के साथ बेबस खड़े रहे और उनके मुंह से एक ही शब्द निकल रहे थे कि हमें भी इसी में दफन कर दो। यह कार्रवाई सेंट्रल मार्केट स्थित प्लॉट नंबर 661/6 पर की गई, जहां करीब 22 दुकानें बनी हुई थीं।

सुबह कार्रवाई शुरू होने से पहले पुलिस ने पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर दी थी और सभी रास्तों को बंद कर दिया गया। मौके पर कई थानों की पुलिस फोर्स, फायर ब्रिगेड की गाड़ियां और वीडियोग्राफी की पूरी व्यवस्था की गई थी। शुक्रवार को ही आवास विकास की टीम ने लाउडस्पीकर से घोषणा कर दी थी कि शनिवार को ध्वस्तीकरण अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद व्यापारी देर रात तक अपनी दुकानों से सामान निकालते नजर आए। विभाग ने शुक्रवार शाम व्यापारियों को अंतिम नोटिस थमाया था और सुबह तक परिसर खाली करने के निर्देश दिए थे।
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रिहायशी क्षेत्र को चेंज करते हुए व्यावसायिक गतिविधियों के रूप में इस्तेमाल करने का मामला 2014 से कोर्ट में चल रहा था, 17 दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सेंट्रल मार्केट का यह अवैध निर्माण खाली कराकर 15 दिन में ध्वस्त किया जाए, लेकिन आवास विकास मेरठ और प्रशासन की उदासीनता के चलते जब यह ध्वस्त नहीं हुआ तो लोकेश खुराना ने आरटीआई डाली की यह अवैध निर्माण ध्वस्त क्यों नहीं हुआ, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना पर कार्रवाई होनी थी।

आगामी 27 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तावित है। बताया जा रहा है कि आवास विकास विभाग ने अदालत के पूर्व आदेशों के अनुपालन में कार्रवाई पहले ही शुरू करने का निर्णय लिया था। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, संबंधित कॉम्प्लेक्स आवासीय भूखंडों पर भू-उपयोग परिवर्तन (Land Use Change) के बिना व्यावसायिक रूप में विकसित किया गया था।
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दरअसल, नौ माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि व्यापारी अपनी दुकानें खाली करें, लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर याचिकाकर्ता लोकेश खुराना ने अवमानना याचिका दायर की। कोर्ट ने गृह सचिव, आवास आयुक्त, जिलाधिकारी, एसएसपी, आवास विकास के अधिकारियों और 22 व्यापारियों को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब मांगा था।

शनिवार की कार्रवाई के बाद शहर के व्यापारिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने वर्षों की मेहनत से अपना व्यवसाय खड़ा किया था, लेकिन अब सबकुछ उजड़ गया। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि जिन अधिकारियों की मिलीभगत से यह निर्माण संभव हुआ, उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
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वहीं आवास विकास विभाग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में यह कदम आवश्यक था। विभाग का तर्क है कि शहर के विकास कार्यों को सुचारू और नियमानुसार आगे बढ़ाने के लिए अवैध निर्माणों को हटाना जरूरी है। अधिकारियों ने बताया कि आने वाले दिनों में भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।

इस कार्रवाई से नाराज व्यापारी अब भाजपा सरकार से भी असंतोष जता रहे हैं। उनका कहना है कि वे पार्टी के कोर वोटर हैं, लेकिन अपनी ही सरकार में उन्हें यह दर्द मिला है। फिलहाल प्रशासनिक अमले ने क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए पुलिसबल को तैनात रखा है और पूरे अभियान को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया है।
Edited By : Chetan Gour

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