देहरादून के ऐतिहासिक झंडे के मेले को कोरोनावायरस संक्रमण के चलते दो दिन में समेट लिया गया। पिछले साल भी कोरोना के चलते कुछ ही दिन मेले का आयोजन किया गया था। जबकि, झंडे का मेला होली के पांचवें दिन से शुरू होकर रामनवमी तक चलता है। इस बार ये आयोजन सिर्फ दो दिन का होगा।
इस बार जिला प्रशासन ने कोरोना को लेकर झंडे के मेले के लिए गाइडलाइन जारी की थी। इसमें दुकान और झूला आदि प्रतिबंधित कर दिए गए थे। मेले का आकर्षण ये दोनों ही हैं। दुकानों, झूलों और बच्चों के लिए मनोरंजन के साधनों, जादू के खेल, मिन्नी सर्कस आदि के बगैर किसी मेले की कल्पना करना बेमानी है। अब झंडे का मेला, मेला नहीं सिर्फ धार्मिक आयोजन तक सीमित कर दिया गया।
शुक्रवार दो अप्रैल की सुबह सात बजे पुराने झंडे को उतारने का कार्यक्रम शुरू हो गया। दोपहर तीन बजे श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज की अगुआई में नए झंडे का आरोहण हुआ। इस साल रोपड़ निवासी जैलसिंह नगर (पंजाब) के जसवीर सिंह पुत्र सुरजीत सिंह को झंडे पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। चार अप्रैल को सूक्ष्म स्वरूप में नगर परिक्रमा होगी। नगर परिक्रमा के साथ ही इस वर्ष का मेला संपन्न हो जाएगा।
मेला आयोजन समिति के व्यवस्थापक केसी जुयाल ने बताया कि झंडे के आरोहण के दौरान बेहद कड़ी व्यवस्था की गई है। अन्य राज्यों से आने वाली संगतों को आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लेकर आना भी अनिवार्य किया गया है। आरोहण स्थल पर भी सीमित संख्या में संगतों से आने की अपील की गई। हालांकि, इस साल संगतों की संख्या पिछले सालों के मुकाबले कम रही।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सोशल मीडिया के जरिए झंडे के मेले की बधाई दी। उन्होंने लिखा- मुझे विश्वास है कि कोविड-19 के इस चुनौतीपूर्ण दौर में पूरी सतर्कता, आस्था और जज्बे के साथ इस धार्मिक मेले का सफल आयोजन किया जाएगा।