उन्होंने कहा कि अकबर अकबर सिर्फ यही चाहता था कि महाराणा उनको एक बार बादशाह मान लें। उस दौर के कई लोगों ने अपने स्वाभिमान को गिरवी रखकर ऐसा कर भी लिया था, लेकिन प्रताप ने अपने अंतिम समय तक ऐसा नहीं किया। प्रताप ने कहा था कि एक विदेशी, विधर्मी और तुर्क को मैं जीते-जी बादशाह नहीं मान सकता।