मायावती ने यहां जारी एक बयान में कहा कि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने जो ताजा आंकड़े सार्वजनिक किए हैं, उनके मुताबिक भाजपा ने वर्ष 2012-13 से वर्ष 2015-16 के बीच अपने हिसाब-किताब वाले कुल चंदे का 92 प्रतिशत अर्थात लगभग 708 करोड़ रुपया पूंजीपतियों से लिया है। अन्य स्रोतों से कितना अकूत धन लिया गया होगा, इसका अंदाजा भाजपा के शाही चुनावी खर्चों से आसानी से लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इसी से साबित हो जाता है कि भाजपा बड़े-बड़े पूंजीपतियों की और उन्हीं के धनबल से एवं उनके इशारे पर ही चलने वाली पार्टी है। इससे पता चलता है कि भाजपा की सरकारें एक के बाद एक जनविरोधी, किसानविरोधी तथा धन्ना सेठों के समर्थन में फैसले क्यों लेती जा रही है?
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि जबसे भाजपा का प्रभाव देश की राजनीति में बढ़ा है तबसे बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने भाजपा को हर प्रकार से सहयोग तथा अधिक से अधिक चंदा देकर भारतीय राजनीति तथा सरकार में अपना बेजा हस्तक्षेप काफी बढ़ाया है। इसी कारण चुनाव काफी हद तक साम, दाम, दंड, भेद इत्यादि हथकंडों का खेल बनकर रह गया है। देश के लोकतंत्र को विकृत करने वाली इस बुराई से चुनाव आयोग सबसे ज्यादा चिंतित लगता है। (भाषा)