उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा अब सामाजिक परिवर्तन का आंदोलन नहीं रह गई है, बल्कि मायावती ने इसे अपनी निजी रियल इस्टेट कंपनी बना डाला है। वे अब पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनतीं, बल्कि कुछ चाटुकारों के कहने पर उल्टे-सीधे फैसले करती रहती हैं।