उद्घाटन सत्र में साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे ने सम्पूर्ण कार्यक्रम की संकल्पना से अवगत करवाया। डॉ. विकास दवे ने कहा कि इंदौर जैसे महानगर को छोड़कर महेश्वर जैसे छोटे स्थान पर कार्यक्रम रखने से सबके मन में स्थान चयन को लेकर सहज ही प्रश्न उठ सकते है, लेकिन यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि अतीत में इसी महेश्वर से भारत के विमर्श का निर्माण हुआ है। इस कार्यक्रम का विमर्श चाहे छोटा हो, लेकिन इसका निष्कर्ष बहुत बड़ा होने वाला है।
उद्घाटन सत्र के पश्चात सतत् विभिन्न विषयों पर सत्रों का क्रम चलता रहा। सत्यता के मुखौटे में असभ्यता के कार्य विषय पर प्रशांत पोल, जनजातीय क्षेत्रों में बढ़ते अलगाववादी षड्यंत्र विषय पर डॉ. लक्ष्मण मरकाम, अनुसूचित जाति के प्रश्न और सामाजिक उत्तरदायित्व विषय पर डॉ. राजेश लाल मेहरा एवं मोहन नारायण, स्त्री विमर्श के भारतीय प्रतिमान विषय पर डॉ. कविता भट, पटकथा लेखन पर सर्वश्री संजय मेहता, आज़ाद जैन व मनोज शर्मा,सनातन धर्म में मन्दिर की अवधारणा विषय पर पंकज सक्सेना ने अपने विचार प्रकट किए।
रात्रि में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ,जिसमे डॉ. राहुल अवस्थी, डॉ. रामकिशोर उपाध्याय एवं डॉ. शम्भु मनहर ने काव्यपाठ कर श्रोताओं के हृदय पर अमिट छाप छोड़ी।कार्यक्रम में मालवा-निमाड़ के साहित्यकार, पत्रकारिता के विद्यार्थी एवं साहित्य के रसिक श्रोता बढ़ी संख्या में उपस्थित रहे।