शैव संन्यासी संप्रदाय के श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा की पेशवाई बाघम्बरी गद्दी के निकट स्थित आनंद अखाड़ा के आश्रम से शुरू हुई जिसमें चांदी के हौदों पर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और अन्य साधु-संत सवार थे। अखाड़े के आराध्य देव भुवन भास्कर भगवान सूर्यनारायण के संरक्षण में पारंपरिक ढंग से हाथी-घोड़े और गाजे-बाजे के साथ पेशवाई छावनी पहुंची।
इनके पीछे चांदी के हौदे पर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर श्री ज्ञानानंदजी महाराज, श्रीमहंत शंकरानंद सरस्वती, महंत गणेशानंदजी महराज, महंत जगदीश गिरि, महंत कैलाश पुरी, महंत लक्ष्मण भारती, महंत विजेन्द्रानंद गिरि, महंत गिरिजानंद सरस्वती, महंत रवीन्द्र पुरी समेत साधु-महात्मा और नागा संन्यासी चल रहे थे।
पेशवाई एक धार्मिक शोभायात्रा है जिसमें अखाड़ों के आचार्य, पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर, साधु-संत और नागा संन्यासियों का कारवां हाथी, घोड़े और ऊंट पर सवार होकर गंगा के किनारे बनी छावनी में पहुंचता है और पूरे मेले के दौरान वहां प्रवास करता है।