भाजपा की उदारता सिर्फ पूंजी घरानों के प्रति : राजेंद्र चौधरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार में कला-संस्कृति और खेलकूद के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करने वालों के प्रति कोई सम्मानभाव नहीं है, उसके सम्मान पात्र हैं सिर्फ मुट्ठीभर कॉर्पोरेट दुनिया के लोग।

जब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव ने लोकसभा में कलाकारों, साहित्यकारों, पत्रकारों तथा खेलकूद के क्षेत्र में ख्यातनाम लोगों को सम्मानपूर्ण जीवन की सुरक्षा देने के लिए पेंशन अथवा सम्मानराशि दिए जाने का मसला उठाया तो केन्द्र सरकार ने चुप्पी साध ली।

जिससे एक बात तो साफ हो गई कि भाजपा का कला-संस्कृति और खेलकूद के प्रति दिखावटी प्रेम इसी से जाहिर है कि समाजवादी सरकार ने यश भारती सम्मान प्राप्त लोगों को 50 हजार रुपए की सम्मान राशि स्वीकृत की थी ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें, अपनी प्रतिभा का और विस्तार तथा विकास करने का कार्य जारी रख सकें।

लेकिन भाजपा ने सत्ता में आते ही सम्मान राशि रोक दी। अखिलेश जी ने सवाल उठाया था कि यश भारती की तरह क्या सरकार पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त विशिष्ट व्यक्तियों को भी क्या सम्मान राशि प्रतिमाह देने की व्यवस्था करेगी? कला-संस्कृति और खेलकूल के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने वालों के प्रति समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने यह सवाल उठाकर अपनी सदाशयता और संवेदना प्रदर्शित की है।

अखिलेश यादव का मानना है कि अधिकांश कलाकार, साहित्यकार और खिलाड़ी अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में अनेक कठिनाइयों का सामना करते हैं। आर्थिक परेशानियों के साथ वृद्धावस्था में बीमारियों से भी परेशानी होती है। अतःउनकी उपलब्धियों को ख्याल में रखते हुए उनके सम्मानपूर्ण जीवन-यापन के लिए एक समुचित धनराशि मिलनी चाहिए।

इसी उद्देश्य से 'यश भारती' के पात्रों को 11 लाख नकद के साथ 50 हजार रुपए मासिक सम्मान राशि देना अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में अखिलेश यादव ने शुरू किया था। भाजपा सरकार का रवैया कला-संस्कृति और खेलकूद के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने वालों के लिए उपेक्षा से भरा है। उसने दुराग्रह के साथ 'यश भारती' सम्मान राशि रोकने का काम किया है।

अखिलेश ने सभी पात्र लोगों को सम्मान दिया था। कला-संस्कृति के अलावा खेलकूद में विशिष्ट योगदान देने वालों के लिए उन्होंने सम्मानजनक धनराशि की व्यवस्था की थी। अखिलेश यादव चाहते हैं कि 'यश भारती' की तरह पद्मश्री, पद्म विभूषण, पद्म भूषण तथा खेलकूद में अर्जुन अवॉर्ड, द्रोणाचार्य पुरस्कार तथा ओलंपिक, कामनवेल्थ गेम्स और राष्ट्रीय प्रतियोगिता आदि के विजेताओं को भी, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक न हो, एक निश्चित धनराशि प्रतिमाह सम्मानपूर्वक जीवन-यापन के लिए दी जाए।

उनकी मानवीयता का यह एक स्तुत्य उदाहरण है, लेकिन अफसोस है कि भाजपा की सरकार इस मामले में उदासीन है। वह भले ही 'एकात्म मानववाद' के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताए, पर सच तो यही है कि उसमें मानवता और कमजोर वर्गों के बीच से उभरे बुद्धिजीवियों, कलाकारों तथा खिलाड़ियों के प्रति जरा भी माननीय भाव नहीं रखती है। भाजपा की उदारता सिर्फ पूंजीघरानों के प्रति है, जो बैंकों के लाखो-करोड़ों रुपए डकार कर बैठे हैं।

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