लड़की के पिता ने इस आधार पर उसके गर्भपात की इजाजत मांगी है कि वह एक शिशु को जन्म देने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम नहीं है और इसलिए उसे मानसिक एवं शारीरिक कष्ट से बचाया जाए, जिसका गर्भावस्था के दौरान उसे सामना करना पड़ सकता है।
देश में चिकित्सीय गर्भ समापन कानून के तहत 20 हफ्ते बाद गर्भपात की इजाजत नहीं है। याचिका के मुताबिक लड़की से उसके रिश्ते के भाई ने बार - बार बलात्कार किया था जो उसके ही घर में रहा करता था। लड़की के गर्भवती होने की बात सात नवंबर को सामने आई जब उसने पेट दर्द होने की शिकायत की और उसे एक डॉक्टर के पास ले जाया गया। इसके बाद 17 नवंबर को पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अवांछित गर्भ को जारी रखने के लिए लड़की को मजबूर करना उसे उसके मूल अधिकारों से वंचित कर देगा। याचिका में इस शोध का भी जिक्र किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि 10 से 14 साल की माताओं की मौत होने का जोखिम 20 साल से अधिक उम्र की माताओं की तुलना में पांच गुना ज्यादा हो सकता है।