समीक्षा में जनगणना का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘राज्य के ग्रामीण इलाकों में 2001 में प्रति 1000 पुरुषों के मुकाबले 945 महिलाओं की तुलना में 2011 में यह संख्या 949 हो गई यानी चार अंक का सुधार हुआ है, जबकि शहरी इलाकों में यह दोनों वर्ष में 880 रही।’
इसमें कहा गया है, ‘राज्य में बड़ी संख्या में शहरी आबादी रहती है जिसका असर पूरे भारत के लिंगानुपात की तुलना में गुजरात में कम लिंगानुपात में देखने को मिलता है।’ वयस्कों के लिंगानुपात की स्थिति बिगड़ने के विपरीत गुजरात में पहली बार बाल लिंगानुपात में सुधार हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर बाल लिंगानुपात में आठ अंक की गिरावट आई है जबकि गुजरात में सात अंक का सुधार आया है। (भाषा)