दरअसल, श्रीकांत साहू के पिता चाय बेचते हैं और नरेन्द्र मोदी भी अपने बचपन में संघर्ष के दिनों में चाय बेचा करते थे। साहू सरकारी नौकरी कर अपने पिता और परिवार का सहारा बनना चाहते हैं। साहू के अनुसार उन्हें कई सारी प्राइवेट कंपनियों से नौकरी के ऑफर मिले हैं लेकिन वे सरकारी नौकरी करना चाहते हैं।
साहू के भाई बलराम साहू चाय की दुकान चलाते हैं। अपने कठिन दिनों को याद करते हुए वे बताते है कि उनके पिता की चाय की दुकान से आमदनी कम होने के कारण उनका परिवार गांव में पनीर और दही भी बेचता था। साहू को उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी सम्मानित कर चुके हैं। साहू ने इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्टरी जबलपुर में फिटर ऑटोमोबाइल पद की परीक्षा पास कर ली है। (एजेंसियां)