सावंत ने कहा, इस संबंध में कानून एवं न्यायिक विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की जा रही है। समूचे राज्य में संक्रामक रोगों में तेजी से हो रहे विस्तार को देखते हुए थूकने पर मनाही संबंधी कानून लाने का फैसला किया गया है जिसे नौ मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।
बहरहाल, सचिव, कानून एवं न्यायिक विभाग एनजे जमादार ने बताया कि निश्चित रूप से वे मंत्री की ओर से भेजे गए विभागीय नोट पर गौर करेंगे। प्रस्तावित कानून के मुताबिक, पहली बार थूकने पर दोषियों को 1,000 रुपए का जुर्माना अदा करना होगा और सार्वजनिक स्थान या सरकारी कार्यालयों में एक दिन के लिए सामुदायिक सेवा करनी होगी।
दूसरी बार ऐसा करते हुए पाए जाने पर दोषी पर 3,000 रुपए का जुर्माना लगाने और तीन दिनों के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान है और बार-बार ऐसा करते पाए जाने पर 5,000 रुपए के जुर्माने और पांच दिनों की सामुदायिक सेवा का प्रावधान है।
सावंत ने कहा, मामूली जुर्माना लगा देना ही काफी नहीं है और इसलिए सरकार ने सामुदायिक सेवा को जरूरी करने का फैसला किया है। दोषी को एक झाड़ू दी जाएगी और उसे सार्वजनिक जगहों या सरकारी कार्यालयों की सफाई करके सामुदायिक सेवा करने के लिए कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका मकसद दोषी को सफाई की अहमियत समझाना और ऐसी प्रवृत्ति को बार-बार दोहराए जाने पर रोक लगाना है। (भाषा)